मध्य भारत, जिसे सरकारी डाक्यूमेंट्स में मालवा संघ के नाम से भी दर्ज किया गया। भारत की स्वतंत्रता के बाद पश्चिम मध्य क्षेत्र में एक भारतीय राज्य था जिसका गठन दिनांक 28 मई 1948 को किया गया था। इसमें कुल 25 रियासतों को शामिल किया गया था जो आजादी के पहले मध्य भारत एजेंसी का हिस्सा थीं। इस राज्य के राजप्रमुख जीवाजीराव सिंधिया थे, जबकि मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी निर्वाचित हुए थे।
मध्य भारत की राजधानी इंदौर और ग्वालियर
मध्य भारत मालवा संघ का क्षेत्रफल 46,478 वर्ग मील (120,380 किमी) था। ग्वालियर इसकी शीतकालीन राजधानी थी और इंदौर ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। यह दक्षिण-पश्चिम में बॉम्बे (वर्तमान में गुजरात और महाराष्ट्र), उत्तर पूर्व में राजस्थान, उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में उत्तर प्रदेश और विंध्य प्रदेश और दक्षिण में भोपाल रियासत और मध्य प्रदेश से घिरा था। आबादी ज्यादातर हिंदू और हिंदी- भाषी थी।
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राज्य पुनर्गठन आयोग की अनुशंसा के बाद दिनांक 1 नवंबर 1956 को 6 राज्यों (पंजाब, केरल, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक) की घोषणा की जिसमें से एक मध्यप्रदेश था। मध्यप्रदेश में मध्य भारत के अलावा विंध्य प्रदेश और भोपाल रियासत को शामिल किया गया था।
मध्य भारत में शामिल जिलों के नाम
मध्य भारत में 16 जिले शामिल थे और इन जिलों को शुरू में तीन आयुक्तों के प्रभागों में विभाजित किया गया था, जिन्हें बाद में घटाकर दो कर दिया गया। ये जिले थे:-
भिंड जिला
गिरद जिला
मुरैना जिला
गुना जिला
शिवपुरी जिला
राजगढ़ जिला
भीलसा जिला
शाजापुर जिला
उज्जैन जिला
इंदौर जिला
देवास जिला
रतलाम जिला
धार जिला
झाबुआ जिला
निमाड़ जिला
मंदसौर जिला
मध्य भारत राज्य का पॉलीटिकल स्ट्रक्चर
मध्य भारत प्रांत में राज प्रमुख का पद, नाममात्र का पद था। इसमें एक उपराजप्रमुख का पद भी था। राज्य में 99 सदस्यों की विधानसभा थी, जो 79 निर्वाचन क्षेत्रों (59 एकल सदस्य और 20 डबल सदस्य) से चुने गए थे। राज्य में 9 लोकसभा क्षेत्र (7 एकल सदस्य और 2 दोहरे सदस्य) थे।
मध्य भारत में राजनीतिक खींचतान
जीवाजी राव सिंधिया 28 मई 1948 से 31 अक्टूबर 1956 तक राज्य के राजप्रमुख थे और लीलाधर जोशी पहले मुख्यमंत्री थे। मई 1949 में गोपी कृष्ण विजयवर्गीय मध्य भारत के दूसरे मुख्यमंत्री और 18 अक्टूबर 1950 को तखतमल जैन (जालोरी) मध्यभारत के तीसरे मुख्यमंत्री बने। कुल मिलाकर मध्य भारत में राजनीति खींचतान इतनी ज्यादा थी कि कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पा रहा था।
मध्य भारत के पहले मुख्यमंत्री जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया
1951 में पहले आम चुनाव में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 75 सीटें जीतीं और हिंदू महासभा ने 11 सीटें जीतीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मिश्रीलाल गंगवाल 3 मार्च 1952 को मुख्यमंत्री बने। उनके इस्तीफे के बाद, तखतमल जैन (जालोरी) 16 अप्रैल 1955 को फिर से मुख्यमंत्री बने। वे 31 अक्टूबर 1956 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे।
मध्य भारत का भूगोल- देश का सबसे समृद्ध राज्य था
मध्य भारत राज्य मध्य भारत पठार (वर्तमान में उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश राज्य और मध्य राजस्थान के अधिकांश भाग में स्थित है) में स्थित था। यह पठार उत्तर में भारत-गंगा के मैदान, पूर्व में बुंदेलखंड के ऊपर, दक्षिण में मालवा के पठार और पश्चिम में पूर्वी राजस्थान से घिरा हुआ था।