भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में वर्षों से अध्यापन कार्य कर रहे महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण समय की मांग है। इसे अब और नही टाला जा सकता है। अतिथि विद्वानों की मांगें पूर्णतः जायज़ है वे वर्षों से प्रदेश की उच्च शिक्षा को संभाल रहे हैं। अब सरकार का दायित्व है कि वो भी अतिथि विद्वानों जे बारे में कुछ सोचे।
यह बातें मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) श्री रमेशचंद्र शर्मा ने अतिथि विद्वानों के एक प्रतिनिधिमंडल से कही।उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश अतिथि विद्वान महासंघ के अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह के नेतृत्व में अतिथि विद्वानों के एक प्रतिनिधि मंडल ने विगत दिवस कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष से एक सौजन्य भेंट करके अतिथिविद्वानों की वर्षों पुरानी नियमितीकरण की मांग को पुनः सरकार के समक्ष रखने का आग्रह किया।
अतिथि विद्वान महासंघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने चर्चा के दौरान कहा कि अतिथि विद्वान वर्षों से नियमितीकरण की मांग दोहराते आ रहे है।शासन से आग्रह है कि नियमितीकरण होने तक अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित करते हुए अतिथि विद्वानों को यूजीसी मानदंडों के अनुसार नियत मानदेय,छुट्टियों की पात्रता एवं जिन पदों पर अतिथिविद्वान कार्यरत हैं,उन्हें भरा मानते हुए अतिथिविद्वानों का भविष्य सुरक्षित करने का कार्य शिवराज सरकार करे।
उल्लेखनीय है की अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण के मुद्दे पर ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार से बगावत कर प्रदेश में तख्तापलट कर शिवराज सिंह को सत्ता के सिंहासन तक पहुचाया था।वहीं 2019 के ऐतिहासिक शाहजहानी पार्क के आंदोलन को करीब से देखने वाला प्रदेश का सजग मीडिया भी अब अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर अब मुखर है व अतिथिविद्वान नियमितीकरण अब प्रदेश का एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका है।