मिर्ची बाबा मजदूर से महामंडलेश्वर कैसे बना, पूरी कुंडली कहानी पढ़िए- Who is Mirchi Baba full story

महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी उर्फ मिर्ची बाबा का असली नाम राकेश दुबे है। इन्होंने अपने जीवन की शुरुआत एक ऑयल मिल में मजदूर के रूप में की थी। आज सारी दुनिया इन्हें महामंडलेश्वर के रूप में जानती है। आइए पढ़ते हैं मजदूर से महामंडलेश्वर बनने तक की कहानी।

मिर्ची बाबा का गांव, जाति और परिवार

मध्य प्रदेश के ग्वालियर संभाग के भिंड जिले में गोहद नेशनल हाईवे से 6 किमी दूर स्थित है बिरखड़ी गांव। यही गांव मिर्ची बाबा का पैतृक गांव है। इस गांव के रहने वाले जसवंत सिंह का बयान सामने आया है। जसवंत ने बताया कि इनके परिवार में कुल चार भाई हैं। राकेश दुबे तीसरे नंबर का है। सबसे बड़ा मुकेश (50), रामनिवास (48), फिर राकेश उर्फ मिर्ची बाबा और सबसे छोटा अनिल (43) है। इनके पिता श्री अयोध्या प्रसाद दुबे मालनपुर में स्थित जय मारुति औद्योगिक क्षेत्र के मंदिर में पुजारी थे।

मिर्ची बाबा के जीवन की कहानी

सन 1995 में राकेश दुबे मेरी (जसवंत सिंह की) ऑयल मिल में मजदूरी किया करता था। इसमें उसका मन नहीं लगता था। सन 1997 में सहसराम जादौन की ऑयल मिल में काम करने लगा। फिर मजदूरी छोड़कर अपने हिस्से की 4 बीघा जमीन बेची और ट्रक खरीद लिया। ट्रांसपोर्ट में घाटा हुआ ट्रक बेचकर अहमदाबाद गुजरात चला गया। लोगों ने बताया कि वहां किसी प्राइवेट फैक्ट्री में काम करता था। उसके बाद क्या हुआ और कब हुआ किसी को नहीं पता। जब लौटकर आया तो राकेश दुबे, मिर्ची बाबा बन चुका था। 

मिर्ची बाबा- अहमदाबाद से गायब हुआ तो इंदौर में दिखा

कहते हैं कि राकेश ने अहमदाबाद की फैक्ट्री में कुछ समय तक काम किया। इसके बाद वह गायब हो गया। एक ट्रक ड्राइवर ने गांव के लोगों को बताया कि उसने राकेश दुबे को सन 2000 में इंदौर में देखा है। वह बाबा बन चुका है। उसका नाम वैराग्यनंद गिरि हो गया है। वह मिर्च की धूनी जलाता है इसलिए लोग उसे मिर्ची बाबा कहते हैं।

राकेश दुबे, मिर्ची बाबा बनकर ग्वालियर चंबल वापस आया

2013-14 में वह अपने गांव के पास वाले सौंध गांव में भागवत का आयोजन करने पहुंचा। ये इस क्षेत्र में उसकी पहली भागवत थी। इसके बाद वह भिंड, मुरैना, ग्वालियर में घूम-घूमकर भागवत करने लगा। यहीं से वह कांग्रेस नेताओं के संपर्क में आया। 

पिता की 13वीं के भोज में राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन किया था

2018 में मिर्ची बाबा के पिता का निधन हुआ तो उसने तेरहवीं में 20 हजार से अधिक लोगों को भोज कराया था। इस तेरहवीं कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के कई मंत्री और विधायक शामिल हुए थे। इसी शक्ति प्रदर्शन के कारण पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मिर्ची बाबा को विशेष सम्मान देना शुरू कर दिया। कहते हैं कि दिग्विजय सिंह ही मिर्ची बाबा को ग्वालियर चंबल से भोपाल ले गए थे। मिनाल रेजीडेंसी में लग्जरी बंगला भी उन्होंने ही दिलवाया था।

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