भारत में शादी की उम्र का निर्धारण मेडिकल के आधार पर किया गया है। जब तक लड़का मानसिक रूप से और लड़की शारीरिक रूप से परिपक्व नहीं हो जाते तब तक शादी नहीं कर सकते। बाल विवाह अधिनियम 1929 में संशोधन करके PCM Act, 2006 लागू किया गया। सभी जानते हैं कि बाल विवाह अपराध है लेकिन आइए अपन जानते हैं कि क्या सरकार द्वारा निर्धारित उम्र से पहले बच्चों का रिश्ता तय किया जा सकता है, उनकी सगाई की जा सकती है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 11 की परिभाषा
जहाँ कोई माता पिता, संरक्षक या कोई संस्था बाल विवाह की बात को आगे बढ़ाएगा या संविदा आर्थात सगाई करेगा या कोई सम्मेलन आयोजन मात्र करेगा तब ऐसे व्यक्ति को अधिकतम दो वर्ष की कारावास एवं एक लाख रुपये के जुर्माना से दण्डित किया जाएगा।
परन्तु कोई महिला इस अपराध में कारावास से दण्डित नहीं होगी।
नोट:- यह अपराध संज्ञेय एवं अजमतीय होते हैं जिनका विचारण जिला न्यायालय(अधीनस्थ कुटुंब न्यायालय) द्वारा किया जाता हैं एवं शिकायत भी उपर्युक्त न्यायालय में दर्ज की जा सकती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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