यह तो हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में भारतीय संविधान में हमे 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं जैसे कि-
1. समानता का अधिकार।
2. स्वतंत्रता का अधिकार।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार।
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार। 5.संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
अगर कोई सरकार इन मौलिक अधिकारों को उल्लंघन कर किसी विधि का निर्माण करती है तब वह विधि प्रारम्भ से ही शून्य होगी जानिए।
भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 के अनुच्छेद 13 की परिभाषा:-
कोई भी विधि जो मूल अधिकारों का उल्लंघन करती है या मौलिक अधिकारों पर अतिक्रमण करती है वह विधि शून्य(अवैध)होगी।
संविधान में निम्न प्रकार की विधि जो मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है शून्य होगी जानिए:-
• कोई स्थायी विधि जो किसी संसद या राज्य विधानसभा(विधानमंडल) द्वारा बनाई हो।
• कोई विधि जो राज्यपाल या राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा बनाई गई हो।
• कार्यपालिका विधान द्वारा बनाए गए आदेश, नियम,विनियम, अध्यादेश, उपविधि या अधिसूचना आदि।
• किसी वैध प्रथा, रूढ़ि, रीति रिवाजों पर बल रखने वाली विधि।
उपर्युक्त ऐसी विधि जो संविधान में मिले मौलिक अधिकारों का हनन करती है प्रारम्भ से ही शून्य होगी।
अवैध या शून्य विधि का मामला कहाँ दर्ज होगा जानिए
भारत का कोई भी नागरिक या नागरिकों का समूह डारेक्ट उच्चतम न्यायालय(सुप्रीम कोर्ट) में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत उच्च न्यायालय(हाईकोर्ट) में मामला दर्ज करके सकते हैं।
लेखक बीआर अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665