आदिवासियों के संरक्षण में बनाया गया एक महत्वपूर्ण कानून हैं पेसा एक्ट, 1996, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 15 अगस्त के अवसर पर आदिवासियों के हित में कहा गया है कि 18 सितंबर 2022 से सम्पूर्ण प्रदेश में पेसा कानून पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा उससे पहले हम आपको सरल शब्दों में बताते हैं कि क्या है ये पेसा कानून जानिए।
पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 अर्थात पेसा एक्ट,1996:-
73 वाँ भारतीय संविधान संशोधन अधिनियम,1992 में पंचायती राज्य की व्यवस्था की गई हैं, इसी संशोधन के नियम क्रमांक 02 में यह उपबंध हैं कि पंचायतों में महिलाओं एवं अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए संख्या के आधार पर आरक्षित कर लाभ दिया जाए। इसी अधारशीलता पर पेसा एक्ट पारित किया गया है, यह अधिनियम भूरिया समिति की सिफारिशों के बाद 1996 में अस्तित्व में आया एवं 24 दिसम्बर 1996 को लागू किया गया इस अधिनियम में कुल पाँच धाराएं है।
पेसा अधिनियम कहाँ-कहाँ लागू है जानिए:-
संविधान की अनुसूचित पाँच में स्थित वो सभी अनुसूचित क्षेत्रों में यह अधिनियम लागू होगा वर्तमान में यह दस राज्यो में प्रभावी होगा- आंध्रप्रदेश,तेलगांना, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, एवं राजस्थान जो अनुसूचित क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं।
अधिनियम का उद्देश्य, महत्व क्या है:-
भारत में आदिवासी परम्परा, रीतिरिवाजों, संस्कृति आदि का संरक्षण करना एवं उनके अधिकारों की रक्षा के लिए यह अधिनियम बनाया गया है इस अधिनियम के अंतर्गत ग्राम सभा में एक ग्राम समिति होगी उस समिति का अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति समुदाय का व्यक्ति होगा एवं ग्राम के महत्वपूर्ण निर्णय ग्राम समिति द्वारा लिए जाएंगे जैसे कि ग्राम पंचायत में होने वाले विकास, अनुसूचित जनजाति समुदाय की भूमि का संरक्षण करना, ग्राम में नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध लगाना, बाजारों की देख रेख एवं ऋण वसूली आदि करना, बेरोजगारी के कारण गाँव छोड़कर पलायन करने वाले जनजाति समुदाय के व्यक्ति की जानकारी रखना आदि सभी अधिकार ग्राम सभा समिति के पास होंगे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि ग्राम सभा समिति ग्राम की समस्याओं को सीधे राज्य सरकार के समक्ष भेज सकती है एवं समस्या का निदान प्राप्त कर सकती है इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी आदिवासी समुदाय के लोगों से ग्राम साहूकार बंधक मजदूरी नहीं करवा सकते हैं।
अतः हम कह सकते हैं कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों एवं उनकी प्रथाओं, रीति-रिवाजों का संरक्षण करना इस अधिनियम का महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं।
लेखक बीआर अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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