शिक्षक भर्ती में सामान्य श्रेणी के गरीब तबके के साथ प्रदेश सरकार बड़ा अन्याय कर रही है- Khula Khat

मध्यप्रदेश में वर्तमान में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया विगत दो-तीन वर्षों से मंथर गति से चल रही है जिसमें सरकारी तंत्र के द्वारा तरह-तरह के अन्याय शिक्षित बेरोजगारों के साथ किए जा रहे हैं। एक तरफ प्रदेश सरकार अपने आपको सामान्य श्रेणी का बड़ा हितेषी बताती है, पर वास्तविकता में उनके लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है। सामान्य श्रेणी के गरीब तबके के लिए ईडब्ल्यूएस का आरक्षण प्रदेश में लागू है जिसमें उन्हें केवल सीटों का आरक्षण मिलता था लेकिन प्रदेश सरकार ने अपनी वाहवाही लूटने के लिए उनके उत्तीर्ण अंकों में कमी करते हुए 75 तो कर दिया लेकिन धरातल पर उसमें कोई कार्य आज दिनांक तक नहीं हुआ। 

उदाहरण के लिए जीव विज्ञान उच्च माध्यमिक शिक्षक की भर्ती का ही ले लें, इसमें डीपीआई के 1699 एवं ट्राइबल विभाग के 249 पदों पर कुल भर्ती 1948 होनी थी लेकिन अनारक्षित कोटे के कुल 509 पदों में से 186 पद ईडब्ल्यूएस श्रेणी के आवेदकों को मिले। जिनमें 47 पद गेस्ट फैकल्टी के रिजर्व किए गए लेकिन अभी तक सरकार ने उन डीपीआई के 162 और ट्राइबल के 24 ईडब्ल्यूएस के कुल मिलाकर 186पदों पर आज तक 25 पद की ही भर्ती की है व गेस्ट टीचरों के डीपीआई के 41 पदों और ट्राइबल के 6 यानी कुल मिलाकर 47पदों में से कुल 1  पद मे भर्ती की है । द्वतीय काउंसलिंग जारी है मगर इन सामान्य श्रेणी के गरीब आवेदकों को न्याय कब मिलेगा इसका जवाब ना तो सरकार के पास है ना किसी उच्चाधिकारी के पास।

ईडब्ल्यूएस का आरक्षण मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश में लागू है इसी कारण प्रदेश में इसे भी लागू किया गया है परंतु प्रदेश सरकार जो अन्याय इन सामान्य वर्ग के गरीबों के साथ कर रही है उसकी हाय इन्हें जरूर लगेगी यह उदाहरण केवल विज्ञान विषय का है इसी प्रकार अन्य विषयों में भी यही हालात होंगे उम्मीदवार बार-बार नेताओं और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं और अपनी मांग सरकार के सामने रख रहे हैं मगर उन्हें कोई भी झूठा दिलासा तक नहीं दे रहा है वही माध्यमिक शिक्षक के मामले में लोक शिक्षण संचनालय भोपाल द्वारा विज्ञान विषय में कुल 50 पद निकाले गए क्या  53 जिलों में 50 पद पर भर्ती होने से आने वाले समय में मध्य प्रदेश के छात्र वैज्ञानिक बन पाएंगे जब शिक्षक ही पर्याप्त नहीं है।

द्वतीय काउंसलिंग के नाम पर भी बेरोजगारों से बहुत बड़ा मजाक किया गया है जिन पदों पर पहले ही बंपर भर्ती हो चुकी है उन्ही पदों पर भर्ती काउंसलिंग भी आयोजित की जा रही है पूरे प्रदेश में पद वृद्धि की मांग चल रही है परंतु इन बेरोजगारों की पुकार इस सरकार तक पहुंच ही नहीं पा रही है चूकि यह चुनावी वर्ष है इस तरह के मुद्दे सरकार को आगामी चुनाव में बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाने वाले हैं।

जबकि होना यह था कि अगर शासन ने ईडब्ल्यूएस के उत्तीर्ण अंको में कमी की है तो पहले उनको दोबारा क्वालीफाइड का रिजल्ट घोषित करना था जिन छात्रों के 90 से कम अंक आए थे उनको क्वालीफाई किया जाना था और उनकी अलग से काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू किया जाना था पर शायद इस सरकार को इन माई के लालो से आगामी चुनाव में भी दोबारा हानि होती है तो इसकी जवाबदेही खुद सरकार की ही होगी। ✒ आशीष मिश्रा, जिला सिवनी 

अस्वीकरण: खुला-खत एक ओपन प्लेटफार्म है। यहां मध्य प्रदेश के सभी जागरूक नागरिक सरकारी नीतियों की समीक्षा करते हैं। सुझाव देते हैं एवं समस्याओं की जानकारी देते हैं। पत्र लेखक के विचार उसके निजी होते हैं। इससे पूर्व प्रकाशित हुए खुले खत पढ़ने के लिए कृपया Khula Khat पर क्लिक करें. यदि आपके पास भी है कुछ ऐसा जो मध्य प्रदेश के हित में हो, तो कृपया लिख भेजिए हमारा ई-पता है:- editorbhopalsamachar@gmail.com

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!