इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य डा. मंगल मिश्रा ने CUET में देरी होने के चलते प्रक्रिया से अलग होकर प्रवेश करने का सुझाव दिया था। इसे लेकर विश्वविद्यालय ने प्रवेश समिति व CUET कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग आयोजित की थी। इस मीटिंग में डिस्कशन के बाद डिसीजन हुआ कि CUET से अलग होकर न्यू एडमिशन प्रोसीजर शुरू करना अब संभव नहीं है, क्योंकि यूनिवर्सिटी के पास तो यह डाटा भी नहीं है कि कितने स्टूडेंट्स ने एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है।
मीटिंग में क्लियर हुआ कि राजभवन के निर्देश पर विश्वविद्यालय संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) से जुड़ा। पहले नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने यूजी पाठ्यक्रम के लिए आवेदन बुलाए, जिसमें विश्वविद्यालय से संचालित 22 स्नातक व इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम में प्रवेश को लेकर देशभर से 66 हजार विद्यार्थियों ने रूचि दिखाई है। जबकि 23 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में 40 हजार आवेदन आए है। NTA को निर्धारित टाइम टेबल के हिसाब से परीक्षा करवानी थी परंतु NTA टेक्निकली कमजोर साबित हुई। परीक्षाएं अचानक स्थगित हो रही है। इसके कारण एडमिशन प्रभावित हो गए हैं।
इसके चलते कार्यपरिषद सदस्य डा. मिश्रा ने कुलपति और कुलसचिव को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय को अलग से प्रवेश प्रक्रिया करने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि अलग से प्रवेश प्रक्रिया के लिए कार्यपरिषद की आपात बैठक बुलाई जाए। मगर इसे पहले विश्वविद्यालय ने प्रवेश समिति और सीयूईटी समन्वय समिति की बैठक दत्त की। समिति सदस्यों के मुताबिक सीयूईटी से अलग होने से पहले विद्यार्थियों का डाटा की आवश्यकता होगी। तभी मेरिट बनाकर प्रवेश दिया जा सकेंगा। NTA रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स का डाटा देने के लिए तैयार नहीं है। उसने मना नहीं किया है लेकिन हां भी नहीं किया है।
अगर विश्वविद्यालय अपने स्तर पर पंजीयन करवाता है तो विवाद की स्थिति बनेगी, क्योंकि जिन विद्यार्थियों सीयूईटी के भरोसे विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने की योजना बनाई है। वे न्यायालय जा सकते है। इसे प्रवेश प्रक्रिया उलझ सकती है। सीयूईटी समन्वय समिति के सदस्य डा. कन्हैया आहूजा ने बताया कि एनटीए से विद्यार्थियों का डाटा को लेकर चर्चा हुई है। अभी एजेंसी से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।