भारत में मोटर यान अधिनियम,1988 लागू है इस अधिनियम में वर्तमान में मोटर यान (संशोधन) अधिनियम,2019 में बहुत सा संशोधन किया गया था एवं 01 अप्रैल 2021 से यह अधिनियम के संशोधित नियम प्रभावशाली हैं। अगर राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार किसी अधिकारी को बनाए गए लागू नियमों को पालन करवाने के लिए नियुक्त करती है एवं वह इन नियमों का उल्लंघन करता है या जानबूझकर कर अनदेखा करता है तब ऐसे अधिकारी के खिलाफ भी कार्यवाही हो सकती है।
उपरोक्त बात को हम साधारण शब्दों में समझाते है अगर कोई RTO (परिवहन अधिकारी) किसी योग्य व्यक्ति को लाइसेंस, परिमिट, आदि जारी नहीं करता है, या गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं करता है, अवैध वाहन का चालान नहीं काटता है, जानबूझकर कर भारी गाड़ियों को जाने देता है आदि अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करता है तब क्या कार्यवाही हो सकती हैं उसके खिलाफ जानिए।
मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 210 (ख) की परिभाषा
अगर कोई प्राधिकारी मोटर यान अधिनियम, 1988 के अंतर्गत बनाए किसी भी लागू नियमों का उल्लंघन करता है या कर्तव्य का पालन नही करता है तब ऐसे अधिकारी की अधिनियम की धारा 210(ख) के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा।
दण्ड:- उपर्युक्त धारा के अंतर्गत अपराध सिद्ध होने पर अधिकारी को जिस अपराध के लिए जो जुर्माना होगा उसके दुगने दण्ड का दायी होगा।
"अर्थात बिना हेलमेट के गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति पर एक हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है अगर वह ऐसे व्यक्ति का चालान नहीं काटता है तब वहाँ पर तैनात परिवहन अधिकारी पर दो हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।" Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)