पुरातत्व वाले कैसे पता लगाते हैं कि कोई चीज कितनी पुरानी है- GK in Hindi

Radiocarbon dating in Hindi

अपने आसपास आज भी कई चीजें ऐसी मिल जाती हैं जो काफी पुरानी होती है। हर रोज कहीं खुदाई के दौरान तो कहीं कोई पुरानी बिल्डिंग की मरम्मत के समय ऐसी चीजें मिल जाती है। फिर पुरातत्व विशेषज्ञों को बुलाया जाता है। वह बताते हैं कि यह चीज कितनी पुरानी है। दुनिया उनकी बात पर विश्वास कर लेती है। सवाल यह है कि वह कैसे पता लगाते हैं कि कोई चीज कितनी पुरानी है और क्या उनका पैटर्न बिल्कुल सही है। 

कार्बन डेटिंग से क्या तात्पर्य है

एक प्रक्रिया होती है जिसका नाम है कार्बन डेटिंग। यह कोई डेटिंग मोबाइल ऐप नहीं है बल्कि एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग किसी समय जीवित सामग्री की अनुमानित आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है। इसे रेडियोकार्बन डेटिंग भी कहा जाता है। रेडियोकार्बन डेटिंग एक नमूने में मौजूद कार्बन के विभिन्न समस्थानिकों की सापेक्ष मात्रा के आधार पर एक कलाकृति या जैविक अवशेष की उम्र का अनुमान लगाने की एक विधि है। 

कार्बन डेटिंग की खोज किसने की

रेडियोकार्बन डेटिंग तकनीक का आविष्कार 1949 में शिकागो विश्वविद्यालय के विलियर्ड लिबी और उनके साथियों ने किया था। 1960 में उन्हें इस कार्य के लिए रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कार्बन डेटिंग के माध्यम से पहली बार लकड़ी की आयु पता की थी।

क्या कार्बन डेटिंग किसी भी चीज की बिल्कुल सटीक उम्र बताती है 

रेडियो कार्बन डेटिंग तकनीक किसी भी चीज की बिल्कुल सटीक उम्र नहीं बता सकती। इसका कारण यह है कि दुनिया भर में सभी स्थानों का वायुमंडल अलग-अलग होता है। कार्बन डेटिंग के माध्यम से पता लगाया जा सकता है कि किसी अवशेष का उसके नष्ट होते समय आकार क्या रहा होगा। इसके आधार पर एक अनुमान लगाया जाता है। यह बिल्कुल सटीक नहीं होता।

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