जबलपुर। मध्य प्रदेश सिविल जज और एडीजे मुख्य परीक्षा की सभी आंसर शीट सार्वजनिक करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि इंटरव्यू में न्यूनतम प्राप्तांक की अनिवार्यता भी समाप्त की जानी चाहिए।
रिजल्ट के बाद उत्तर पुस्तिका देखना संवैधानिक अधिकार
जनहित याचिकाकर्ता एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एंड सोसल जस्टिस की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह व रामेश्वर सिंह ठाकुर पक्ष रखेंगे। उन्होंने अवगत कराया कि जनहित याचिका में उत्तर पुस्तिकाओं को अपलोड किए जाने का सुझाव दिया गया है। इससे न्यायिक भर्ती प्रक्रिया अपेक्षाकृत अधिक पारदर्शी हो जाएगी। भारत के संविधान के अनुसार यह नागरिकों का मूल अधिकार भी है। इसके अलावा चयन समिति में एससी, एसटी व ओबीसी के पृथक-पृथक प्रतिनिधियों को रखा जाना भी अनिवार्य होना चाहिए।
परीक्षाओं की संपूर्ण प्रक्रिया क्रिस्टल क्लियर होनी चाहिए
जनहित याचिका में उस नियम पर ऐतराज जाहिर किया गया है, जिसके तहत प्रतियोगी परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं सूचना के अधिकार के तहत न दिए जाने का निर्णय हाई कोर्ट प्रशासन की ओर से लिया गया है। यह रवैया सुप्रीम कोर्ट के उन न्यायदृष्टांतों के सर्वथा विपरीत है, जिनमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता को नागरिकों का मूल अधिकार रेखांकित किया गया है। नियमानुसार भर्ती परीक्षाओं की संपूर्ण प्रक्रिया क्रिस्टल क्लियर होनी चाहिए।
इंटरव्यू में न्यूनतम प्राप्तांक की अनिवार्यता, गलत बात
जनहित याचिका में हाई कोर्ट के उस नियम का भी विरोध किया गया है, जिसके जरिये मौखिक परीक्षा में 50 में से 20 अंक लाने की अनिवार्यता रेखांकित की गई है। इस वजह से जो परीक्षार्थी लिखित परीक्षा में 400 में से 380 या इससे अधिक अंक लाते हैं, किंतु मौखिक परीक्षा में 20 से कम अंक हो जाते हैं, वे अनुत्तीर्ण करार दे दिए जाते हैं। इस रवैये पर अंकुश आवश्यक है। ऐसा न होने के कारण योग्य बाहर हो रहे हैं।