किशोर व्यक्ति, वह बालक होते हैं जिनकी उम्र 18 वर्ष से अधिक नहीं हुई है। मोटर यान अधिनियम,1988 की धारा -7 की उपधारा 2 में यह स्पष्ट बताया गया है कि कोई भी अठारह वर्ष से कम आयु का व्यक्ति को बिना गियर वाली मोटरसाइकिल चलाने का लाइसेंस (लर्निंग लाइसेंस) सिर्फ सीखने के लिए किसी देख रेख करने वाले व्यक्ति की सहमति के बिना नहीं दिया जाएगा।
नाबालिक बच्चों को सार्वजनिक रास्तों पर वाहन चलाने की अनुमति नहीं
यह लाइसेंस किशोर बालकों को सिर्फ सीखने के लिए दिया जाता है न कि सार्वजनिक स्थान पर बाइक दौड़ाने के लिए। अगर कोई बालक (किशोर) किसी सार्वजनिक सड़क पर वाहन चलाते मिलता है तब उसके लिए किशोर के साथ और कौन जिम्मेदार होगा एवं क्या होगा दण्ड का प्रावधान जानिए।
मोटर यान अधिनियम,1988 की धारा 199 (क) की परिभाषा
1. किसी किशोर बालक द्वारा किया गए अपराध में वाहन स्वामी या कोई संरक्षक (माता- पिता, भाई, चाचा आदि) की जिम्मेदारी होगी की वह बालक को वाहन चलाने से रोके, अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तब स्वामी या संरक्षक को अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और पच्चीस हजार रुपए तक से दण्डित किया जा सकता है। एवं 12 माह के लिए वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।
2. जो कोई किशोरी बिना अनुमति के वाहन चलाता है या अधिनियम के अंतर्गत बनाये किसी नियम का उल्लंघन करता है तब उस किशोरी को जब तक वाहन चलाने का लाइसेंस प्राप्त नहीं होगा जब तक वह अपनी आयु 25 वर्ष पूरी नहीं कर लेता है।
इस धारा का उद्देश्य यह है कि माता-पिता को अपने नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने की छूट नहीं देना चाहिए अगर उनके मना करने के बाद बालक नहीं मानता है ओर वाहन को जबर्दस्ती ले जाता है तब ऐसे माता-पिता,संरक्षक पर यह अपराध पर लागू नहीं होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)