भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेशानुसार लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा स्थापित निर्धारित प्रक्रिया को पूरा करके भर्ती हुए 48000 अतिथि शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया। सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त करने के लिए एक उच्च शिक्षित अतिथि शिक्षक ने अंडा मुर्गा की दुकान खोली और नाम रखा है, अतिथि शिक्षक अंडा मुर्गा की दुकान।
सागर से 45 किमी दूर स्थित ग्राम बरकोटी कलां में रहने वाले एमए, बीएड पास अतिथि शिक्षक भरत अहिरवार ने बेरोजगार होने के बाद अपने कच्चे मकान में अंडा-मुर्गा और किराने की छोटी सी दुकान खोल ली। दुकान का नाम रखा 'अतिथि शिक्षक अंडा-मुर्गा दुकान'। इतनी पढ़ाई करने के बाद भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे बिना गलती के नौकरी से निकाल दिए गए भरत अहिरवार बताते हैं कि कच्चे मकान में रहता हूं। पिता ने मजदूरी कर पढ़ाया। सपना था कि बेटा पढ़कर कुछ बनेगा। मैं बड़ा हुआ और एमए, बीएड तक की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद शिक्षक बनना चाहता था। वर्ष 2008 से 2019 तक जिले के अलग-अलग स्कूलों में अतिथि शिक्षक के तौर पर सेवाएं दी। लेकिन वर्ष 2019 में अतिथि शिक्षक नियुक्ति का नियम ही बदल गया। स्कोर कार्ड जनरेट किए गए, जिसमें मेरी नियुक्ति नहीं हो पाई। मैं बेरोजगार हो गया। पढ़ाने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं कर सकता इसलिए कोई दूसरी प्राइवेट नौकरी नहीं मिली।
आर्थिक तंगी से जूझा, फिर खोली दुकान
भरत ने कहा परिवार को पालने की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है लेकिन नौकरी जाने के बाद आर्थिक तंगी शुरू हो गई। बच्चों की पढ़ाई, उनके कपड़े और परिवार का पेट भर पाना मुश्किल होने लगा। तभी गांव में ही दुकान खोली। दुकान का नाम रखा अतिथि शिक्षक अंडा-मुर्गा दुकान। यह नाम इसलिए रखा क्योंकि मैं अतिथि शिक्षक था और अब बेरोजगार हो गया। दुकान से दिन में करीब 150 रुपए की आय होती है। उसी से परिवार चलाता हूं। पत्नी बीड़ी बनाने का काम करती है।
पति की नौकरी गई तो बनाने लगी बीडी
बेरोजगार भरत की पत्नी रेखा अहिरवार ने कहा कि पति अतिथि शिक्षक थे, लेकिन उनकी नौकरी छूट गई। अब बीडी बनाकर परिवार को पाल रहे हैं। बच्चों को पालना और अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। सरकार से मेरी एक ही मांग है कि मेरे पति को जल्दी नौकरी दे दो। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.