रुद्राक्ष महोत्सव मामला- UPSC और मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स के लिए केस स्टडी

भोपाल।
महाशिवरात्रि के अवसर पर मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में लगातार दूसरे साल आयोजित रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान जो कुछ भी हुआ उसके लिए केवल दो ही चीजों को जिम्मेदार माना जा रहा है। कलेक्टर ने सब्जेक्ट को लगातार इग्नोर किया और एसपी क्या इंफॉर्मेशन नेटवर्क प्रॉपर नहीं था। अन्यथा क्या कारण हो सकते हैं कि जब एक कथा वाचक 10000 स्क्वायर फीट पंडाल लगा रहा हो, 5000 स्वयंसेवकों की टीम तैनात कर दी गई हो वहां ट्रैफिक कंट्रोल के लिए पुलिस एवं प्रशासन के पास कोई प्लान नहीं था। 

कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती थी

दिनांक 28 फरवरी को जिस प्रकार की परिस्थितियां बनी। भोपाल इंदौर नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक जाम हुआ और फिर व्यास गद्दी पर बैठे पंडित प्रदीप मिश्रा ने 1 सप्ताह तक चलने वाले रुद्राक्ष महोत्सव को निरस्त करने की घोषणा की, सब कुछ काफी तनावपूर्ण हो सकता था। कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती थी। UPSC के स्टूडेंट के लिए यह मामला एक केस स्टडी हो सकता है। 


सबको पता था कि कार्यक्रम बहुत बड़ा होगा

यह कार्यक्रम अचानक पर पहली बार नहीं हो रहा था। रुद्राक्ष महोत्सव का दूसरा साल था। आयोजकों ने ऐलान किया था कि 1 सप्ताह के भीतर कम से कम 1500000 लोग आएंगे। 10000 स्क्वायर फीट पंडाल लगाया गया था। नेपाल से 11.51 लाख रुद्राक्ष मंगवाई गए थे। कार्यक्रम की व्यवस्था के लिए 2000 पुरुष और 3500 महिला स्वयं सेवकों को नियुक्त किया गया था। सुबह 7:00 बजे घर से लेकर रात 10:00 बजे तक लगातार भंडारा चलने वाला था। उपरोक्त तमाम व्यवस्थाएं अपने आप में यह बताने के लिए काफी थी कि कार्यक्रम बहुत बड़ा होने वाला है। 

ऐसे मामलों में प्रशासन हमेशा आयोजकों के साथ संबंध में बनाते हुए अपनी व्यवस्था में बनाता है। आयोजक के खर्चे एवं तैयारियों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन अपनी तैयारियां कर लेता है। मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स के लिए यह मामला एक उदाहरण है कि कभी भी किसी भी इंफॉर्मेशन को इग्नोर नहीं करना चाहिए, और अपने इंफॉर्मेशन नेटवर्क को चेक करते रहना चाहिए। भोपाल की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया bhopal news पर क्लिक करें।

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