भोपाल। मध्यप्रदेश में जनता द्वारा चुनी गई कांग्रेस की सरकार को बदले हुए 2 साल पूरे होने वाले हैं। 20 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री कमलनाथ को अल्पमत में आ जाने के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस पार्टी इसे लोकतंत्र की हत्या और विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला बताती है परंतु कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ एक ऐसे नेता है जो मध्य प्रदेश के मामलों में हाईकमान की भी नहीं मानते। मनमानी करते हैं। इसीलिए कांग्रेस की सरकार गिर गई थी।
किस्सा सन 2020 मार्च के पहले सप्ताह का है। बसपा विधायक रामबाई परिहार के कारण ना केवल भाजपा का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया था बल्कि भाजपा के इरादों का भी खुलासा हो गया था। कांग्रेस हाईकमान की चिंता बढ़ गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और विवेक तंखा के साथ हाईकमान से मिलने पहुंचे। दिनांक 7 मार्च 2020 को हाईकमान ने कमलनाथ को आदेश दिया कि वह प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दें ताकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया जा सके, लेकिन कमलनाथ परिस्थितियां नाजुक होने के बाद भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने तैयार नहीं हुए।
जबकि पत्रकारों के सामने कमलनाथ हमेशा यह दोहराते रहे कि वह किसी भी पद के लिए लालची नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने के लिए उन्होंने खुद पहल की थी लेकिन हाईकमान ने उन्हें पद छोड़ने से रोक लिया था। ठीक 2 साल बाद जब मध्यप्रदेश में कमलनाथ और उनके समर्थक कांग्रेस नेता लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं, उसी समय कुछ वरिष्ठ पत्रकार 2 साल पहले के घटनाक्रमों की पोल खोल रहे हैं। एबीपी न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार बृजेश राजपूत की किताब 'वो 17 दिन' मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन से संबंधित घटनाक्रमों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.