भोपाल। जब से युद्ध के कारण गेहूं के निर्यात का अवसर वाली खबर आई है तब से बाजार में बिना किसी व्यवहार के गेहूं के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस बार बड़े किसानों ने जमाखोरी कर ली। उनका अनुमान है कि 7500 क्विंटल की दर पर उनका गेहूं विदेश में निर्यात किया जाएगा परंतु ताजा खबर उन्हें निराश करेगी। सरकार किसानों का नहीं बल्कि अपने गोदामों में भरा हुआ 4500000 टन गेहूं निर्यात करेगी। सरकार ने यह गेहूं अधिकतम अनुमान ₹3000 क्विंटल में खरीदा था। सारा मुनाफा सरकार का होगा।
MP KISAN NEWS- गोदामों की गेहूं से सरकार को पचास हजार करोड़ का घाटा हुआ था
समाचार मिल रहे हैं कि, युद्ध के कारण यूरोपीय देशों में गेहूं नहीं पहुंच पा रहा है। इसलिए भारतीय राज्यों में गेहूं की डिमांड बढ़ गई है। मप्र को खास फायदा इस तरह भी हो रहा है, क्योंकि गोदामों में दो साल से भरा पड़ा गेहूं सरकार के लिए बड़ी समस्या बन रहा था। इस गेहूं की खरीद का सरकार पर 31 मार्च 2022 की स्थिति में 50 हजार करोड़ रुपए का कर्जा हो गया है। जिसका हर रोज का 13 से 14 करोड़ रु. ब्याज बैंकों में भरना पड़ रहा है।
सीएम शिवराज सिंह और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की बातचीत
हालांकि गेहूं निर्यात से स्थिति सुधरेगी। सरकार का कर्ज 50 हजार करोड़ से घटकर 35 हजार करोड़ रु. तक आ सकता है और ब्याज भी रोजाना 7 करोड़ रु. तक घट जाएगा। इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को नईदिल्ली में वाणिज्य उद्योग एवं खाद्य मामलों के मंत्री पीयूष गोयल से चर्चा की।
बड़े व्यापारियों को मंडी टैक्स फ्री
उच्च स्तरीय बैठक के बाद सीएम ने कहा- प्रदेश का जो गेहूं एक्सपोर्ट होगा, उस पर मंडी टैक्स नहीं लगेगा। अभी समितियां और व्यापारी किसान से जो गेहूं खरीदते हैं, इसके लिए उन्हें 100 रु. की खरीदी पर 1.50 रुपए मंडी टैक्स का देना होता है। यानी एक करोड़ रु. की उपज खरीदी पर 1.50 लाख रु. मंडी टैक्स लगता है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.