WORLD NEWS- एक रोबोट जो बच्चे पैदा कर सकता है, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बनाया गया

Bhopal Samachar
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Washington
. अब तक आपने साइंस फिक्शन फिल्मों में देखा होगा कि रोबोट अपने जैसे रोबोट पैदा कर सकते हैं परंतु अब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसे हकीकत में बदल दिया है। दुनिया के पहले जीवित रोबोट जेनोबोट्स बनाने वाले वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह जेनोबोट्स अब अपने जैसी संतान भी पैदा कर सकते हैं। इन्हें बनाने का श्रेय वर्मोट, टफट्स और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वॉइस इंस्टिट्यूट को है।

ज़ेनोबोट्स पैक से कैंसर का इलाज किया जाएगा

यह जेनोबोट्स पैक- मैन जैसे अपने मुंह के अंदर एकल कोशिकाओं को जमा करते हैं और बच्चों को बाहर निकालते हैं। जो बिल्कुल माता-पिता की तरह दिखते व गति करते हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह जेनोबोट्स कैंसर के साथ कई गंभीर बीमारियों के इलाज में भी क्रांति ला सकते हैं। इनमें गहरे घाव, बर्थ डिफेक्टस् और उम्र बढ़ने से जुड़ी बीमारियां भी शामिल है। भविष्य में यह जेनोबोट्स अपने आप मल्टीप्लाई होकर बीमारियों को जड़ से खत्म करने में मददगार साबित होंगे। 

एक रोबोट जो समुद्र और नदी, तालाबों से माइक्रो प्लास्टिक कचरा निकाल लाएगा

शोधकर्ताओं का मानना है कि यह जेनोबोट्स ना सिर्फ बीमारियों से लड़ सकते हैं बल्कि प्रकृति को साफ-सुथरा रखने में भी मदद करेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संयोजन से इनकी उपयोगिता बढ़ाई जा सकेगी। इस स्टडी से जुड़े टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल लेविन बताते हैं कि जेनोबोट्स की उपयोगिता बढ़ाने पर शोध जारी है। हालांकि ताजा प्रयोग के तौर पर पता चला है कि यह रोबोट महासागरों, नदी और तालाब की गहराई से माइक्रोप्लास्टिक कचरा खींच लेने में भी सक्षम है। ऐसे में इनके जरिए साफ सफाई भी की जा सकेगी और पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी।

जेनोबोट्स कैसे बनाए गए, क्या इंसानों की तरह जिंदा है

ये जेनोबोट्स जीते जागते रोबोट्स हैं। जिन्हें मेंढक के एंब्रियो से बनाया गया है। साथ ही इनके दिल को मोटर की तरह यूज किया जा सकता है। इन जोनोबोट्स को बनाने के लिए मेंढक के भ्रूण से जीवित स्टेम कोशिकाओं को स्क्रैप किया गया और इन्हें इनक्यूबेट करने के लिए छोड़ दिया गया। इसलिए यह रोबोट होने के साथ-साथ जीव भी है। इन रोबोट्स में जानवर या पौधों से अलग जैविक प्रजनन का बिल्कुल नया रूप खोजा गया है।

एक रोबोट दूसरे रोबोट को ठीक कर सकता है

वैज्ञानिकों ने इनके जीन में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया है। यह जोनोबोट्स चल सकते हैं, तैर सकते हैं, बिना खाए हफ्तों तक जिंदा रह सकते हैं और इसके अलावा खुद को ठीक भी कर सकते हैं। यह जोनोबोट्स एक से दूसरे में रिप्लिकेट (अपने जैसी कॉपी बनाना) भी हो सकते हैं।
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