Self Help- नतीजे आपको चौंका देंगे, खुद से बात करके तो देखिये

शक्ति रावत।
क्या आप कभी खुद से बात करते हैं, सुनकर अजीब लगेगा लेकिन बात सच है, हम सभी जाने अनजाने खुद से बात करते ही हैं लेकिन, क्योंकि यह बातचीत व्यवस्थित और योजनाबद्व नहीं होती। अगर आप जिंदगी में किसी भी तरह की उलझनों में हैं, तो सेल्फ डायलॉग या स्वसंवाद को अपनाकर देखें। इसके लिए आपको जोर से नहीं बल्कि मन में ही खुद से बात करनी है, लेकिन अलग तरीके से, अगर आपने सेल्फ डायलॉग का यह फंडा अपना लिया तो यकीन मानिये इसके नतीजों से आप भी हैरान रह जाएंगे। क्योंकि जीवन को सुलझाने के लिए दूसरों से ज्यादा खुद से बात करने की कला आना बहुत जरूरी है। तो आइए आज बात इसी कला के फंडों पर। 

1- रोज दें 10 मिनिट का समय

सेल्फ डायलॉग या स्वसंवाद के लिए रोज खुद को 10 मिनिट का समय दें। यह समय सुबह का हो सकता है या फिर शाम का। यानि या तो दिन की शुरूआत करने से पहले या फिर अपना दिन खत्म करने के बाद। ताकि आपको तुंरत कोई काम करने का प्रेशर या तनाव ना हो। अपनी सुविधा के हिसाब से आप समय तय कर सकते हैं। इस 10 मिनिट के दौरान आप अपनी किसी उलझन या समसस्या या भविष्य की किसी योजना को लेकर खुद पर पूरा ध्यान केन्द्रित करें और सवाल करें। फिर ध्यान दें कि आपके अंदर से क्या जबाव निकलकर आ रहा है। शुरू में यह अजीब लगेगा, लेकिन यही 10 मिनिट आपके आने वाले पूरे जीवन को बदलकर रख देंगें।

2- पहले से लिख लें विषय

जब आप खुद के साथ बात करने बैंठेें तक यह ध्यान रखें कि यह काम हमेशा तब ही करें जब आप फ्री और अकेले हों, इसके साथ ही अगर संभव हो तो उन बातों को किसी कागज पर लिखकर रख लें, जिन पर आप अपना दृष्टिकोण या नजरिया साफ करना चाहते हैं, इससे फायदा यह होगा कि जब आप सेल्फ डायलॉग करेंगे तो आपको पता होगा कि आपको खुद से किस विषय पर और क्या बात करनी है।

3- भटकने ना दें ध्यान

वैसे हमारे दिमाग में 24 घंटे कुछ ना कुछ चलता ही है, लेकिन जब आप स्वसंवाद करेंगे तब सबसे बड़ी परेशानी यह आयेगी, कि आपका ध्यान बार-बार मुद्दे पर से भटकेगा। ऐसी स्थिति में आपके लिए चुनौती होगी कि किसी अहम विषय पर कोई फैसला लेते समय आपका ध्यान ना भटके। आपका पूरा फोकस खुद के साथ बातचीत पर होना चाहिये। आसान तरीका यह है कि आप अपने मन या दिमाग को कोई एक नाम दे दें। कोई भी। इससे आपको यह आभास होगा कि आप किसी व्यक्ति से ही बात कर रहे हैं, और आपका ध्यान नहीं भटकेगा। 

4- बातचीत में तक भी करें

ज्यादातर लोगों के साथ यह समस्या है कि उनके मन में जो भी विचार या बात आती है, वे उसे बिना तर्क के स्वीकार कर लेते हैं। यानि किसी को अगर किसी स्थिति से डर महसूस हो रहा है तो बिना तर्क स्वीकार कर लेता है। जबकि मनोवैज्ञानिकों की मानें तो लोगों के साथ 70 फीसदी विचार और कल्पनाएं उन घटनाओं के होते हैं, जो कभी घटीं ही नहीं हैं। ऐसे में सेल्फ डायलॉग करते वक्त मन या दिमाग की कोई भी बात बिना तर्क के स्वीकार ना करें। जब भी मन में कोई बात या खयाल आ रहा हो तो अपने आप से तर्क -वितर्क जरूर करें, इसके बाद अगर बात जंचती है तो ही उसे स्वीकार करें अन्यथा खारिज कर दें। - लेखक मोटीवेशनल एंव लाइफ मैनेजमेंट स्पीकर हैं।

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