वह कौन सा अपराध है जिसकी जांच पुलिस और मजिस्ट्रेट एक साथ कर सकते हैं- CrPC section 210

जब किसी आम व्यक्ति पर कोई अत्याचार होता है तब वह इसकी रिपोर्ट या शिकायत पुलिस थाने में करता है। यदि पुलिस मामले की इन्वेस्टिगेशन में ज्यादा समय लगाती है तो पीड़ित व्यक्ति मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद दाखिल कर सकता है। यदि वह ऐसा कर देता है तब मामले की जांच कौन करेगा। पुलिस या मजिस्ट्रेट, या फिर दोनों की तरफ से मामले की इन्वेस्टिगेशन की जाएगी। आइए जानते हैं:-

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 210 की परिभाषा (सामान्य शब्दों में):-

• जब पुलिस रिपोर्टर से भिन्न कोई अपराध का परिवाद (शिकायत) मजिस्ट्रेट को प्राप्त होती है एवं मजिस्ट्रेट उस पर जाँच या विचारण प्रारंभ कर देता है एवं उसी अपराध का अन्वेषण पुलिस द्वारा भी किया जा रहा है तब मजिस्ट्रेट अपनी जाँच या विचारण की कार्यवाही को रोक देगा एवं पुलिस अधिकारी से उस अपराध की रिपोर्ट मांगेगा।

• लेकिन यदि मामला दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा धारा 173 (अर्थात भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 (बलात्संग),क, ख, ग, घ, कख, घक, घख, ड या पास्को एक्ट आदि) से सम्बंधित है तब मजिस्ट्रेट ऐसे अपराध का जाँच एवं विचारण पुलिस रिपोर्ट के साथ-साथ करेगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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