रतलाम। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के साथ ही देश के सबसे अनोखे महालक्ष्मी मंदिर में माता लक्ष्मी का श्रंगार प्रारंभ हो गया। श्रंगार के लिए भक्तों द्वारा स्वर्ण एवं चांदी के आभूषण, हीरे-जवाहरात, नोटों की गड्डियां इत्यादि प्रस्तुत की जाती है। 5 दिन तक महालक्ष्मी के दर्शनों के लिए 24 घंटे पट खुले रहते हैं।
मध्यप्रदेश के रतलाम शहर के माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर पर इस बार भी सजावट पहले जैसी है, लेकिन लगातार दूसरे साल कोरोना के चलते कुबेर पोटली का वितरण नहीं किया जाएगा। कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर में गत वर्ष की तरह ही दर्शन व्यवस्था बदली गई है। मंदिर की सजावट एवं माता के शृंगार के लिए
सजावट के लिए नकदी, आभूषण आदि सामग्री देने का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। बड़ी संख्या में सामग्री देने वाले भक्तों का तांता लगा रहा। जिले के अलावा अन्य स्थानों के भक्त मातारानी के दरबार में सजावट के लिए नकदी आदि सामग्री देने पहुंचे।
मंदिर के संजय पुजारी ने बताया कि मंगलवार धनतेरस पर ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के पट खोले गए और महालक्ष्मी जी की आरती उतारी गई। देर तक सजावट का सिलसिला चलता रहा। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सजावट के लिए नकदी सहित अन्य सामग्री दी है। आज से लगातार पांच दिनों तक श्रद्धालु अनवरत मातारानी के दर्शन कर सकेंगे। दीपोत्सव के दौरान मंदिर के पट बंद नहीं होंगे। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें
रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में धन दौलत की चमक, भक्तों के नोट और ज़ेवर से मंदिर सजाया जाता हैं #Dhanteras2021 pic.twitter.com/JJo1YidhbZ
— Brajesh Rajput (@brajeshabpnews) November 2, 2021