चोरी, लूट, डकैत आदि अपराध का विचारण किस न्यायालय की अधिकारिता सीमा में किया जाएगा, जानिए - CrPC SECTION-181

भारत की न्यायपालिका एकीकृत है अर्थात एक ही है लेकिन अधीनस्थ न्यायालयों की  आपराधिक मामलों में जांच एवं विचारण करने की अधिकारिता सीमा अलग अलग होती है। यह हमने आपको पिछले लेखों में भी बता दिया हैं। अगर कोई व्यक्ति होशंगाबाद शहर में चोरी करता है एवं चोरी के माल को भोपाल में बेच देता है एवं जिस व्यक्ति की चोरी हुई है वह बैतूल जिले का रहने वाला है अब ऐसे में वह होशंगाबाद न्यायालय में सुनवाई करवाएगा या भोपाल न्यायालय में या वह जहाँ का निवासी हैं बैतूल न्यायालय में मामले कि सुनवाई करवाएगा जानते हैं, इसका जबाब।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 181 की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा चोरी, लूट, लूट के बाद हत्या, अपहरण या व्यपहरण, उद्दापन, आपराधिक न्यासभंग(संविदा(अग्रीमेंट, कॉन्टेक्ट) टूटना, विश्वासघात या जबर्दस्ती ठगी करना आदि के अपराध किये जाते हैं तब ऐसे अपराध का विचारण या जाँच दोनो न्यायालय अर्थात जिस स्थानीय अधिकारिता में व्यक्ति के साथ ठग हुआ है, चोरी हुई है, संविदा भंग हुई है,या व्यक्ति का अपहरण हुआ है आदि का कोई अपराध हुआ है या ठग करने वाला व्यक्ति कही अन्य न्यायालय क्षेत्र में जाकर चोरी,डैकती, लूट की वस्तु को बेचता है या अपहरण किये गए व्यक्ति को जहाँ छुपा कर रखता है। उस न्यायालय में भी ऐसे अपराध का विचारण हो सकता है। 

अर्थात जिस न्यायालय की स्थानीय अधिकारिता में अपराध हुआ हैं या जहाँ पर सम्पति को ठिकाने लगाया गया है या व्यक्ति को बंदी बनाकर रखा है दोनो न्यायालय में से किसी भी न्यायालय की ऐसे अपराध में सुनवाई करने का अधिकार होता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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