एससी/एसटी के व्यक्ति खराब पानी पीने के लिए मजबूर करना दंडनीय अपराध होता है जानिए- SC/ST Act, 1989

Bhopal Samachar
अगर बात करे भारतीय दण्ड संहिता की तो किसी व्यक्ति को पानी पीने से रोकना, परिसर या घर के सामने मलमूत्र या कूड़ा कचरा, अन्य घृणात्मक पदार्थ इक्का करना जिससे किसी व्यक्ति को कोई क्षति या नुकसान हो तब यह एक असंज्ञेय अपराध होगा लेकिन अगर हम विशेष विधि अनुसूचित जाति-जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम,1989 की बात करे तो ये अपराध संज्ञेय होंगे एवं अधिकतम पाँच वर्षों की सजा तक हो सकती है।

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति(अत्याचार) अधिनियम,1989 की धारा 3(1),(i एवं ii) की परिभाषा:-

(क)  कोई व्यक्ति जो SC/ST का सदस्य नहीं है वह SC/ST के किसी व्यक्ति को अखाद्द पदार्थ, जल(खराब भोजन,पानी) या घृणात्मक पदार्थ खाने पीने को मजबूर करेगा तब ऐसा करना वाला व्यक्ति धारा 3(1) क, के अंतर्गत दोषी होगा।

(ख). अगर कोई व्यक्ति sc-st के सदस्य के मकान,घर, परिसर के प्रवेश द्वार के सामने या उनके आस पास किसी भी प्रकार का मल-मूत्र,मल, पशु-शव अन्य कोई भी घृणात्मक पदार्थ इकठ्ठा करता है वह धारा 3(1) ख,ग के अंतर्गत दोषों होगा।

शासन द्वारा पीड़ित को राहत राशि:-

अनुसूचित जाति एवं जनजाति(अत्याचार निवारण),अधिनियम,1989 की धारा 23 की उपधारा (1) यह नियम बनाती है जिसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति नियम,1995 कहते हैं। नियम क्रमांक 12(4) के अनुसार पीड़ित परिवार को जिला मजिस्ट्रेट या SDM या अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट,जिला संयोजक अनुसूचित जाति जनजाति द्वारा राहत राशि उपलब्ध कराएगा।

अगर कोई अपराध उपर्युक्त धारा  3(1) क, ख, ग के अंतर्गत SC-ST के सदस्य पर किया जाता है तब पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन द्वारा एक लाख रुपए तक की राहत राशि दी जाती है।
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