भारत में महिलाओं को IAS-IPS बनने की अनुमति नहीं थी - DO YOU KNOW

भोपाल समाचार सेंट्रल डेस्क।
भारत की सामाजिक ही नहीं बल्कि सरकारी व्यवस्था में भी महिलाओं को दूसरा दर्जा दिया गया था। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि महिलाओं को भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं भारतीय पुलिस सेवा जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के लिए अयोग्य माना जाता था। भारत सरकार का तर्क था कि इतने महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं को नहीं बिठाया जा सकता। उनमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। महिला हमेशा किसी ना किसी पुरुष पर डिपेंड होती है।

महिलाओं को UPSC सिविल सेवा परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति नहीं थी

सन 2021 में बैठकर कोई सोच भी नहीं सकता कि भारत में एक दिन ऐसा भी था जब महिलाओं को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए पात्र नहीं माना जाता था। पास या फेल तो उनकी योग्यता पर निर्भर करता है परंतु नियम था कि महिलाएं परीक्षा के लिए फॉर्म तक नहीं भर सकतीं। यह सब कुछ उस देश में हो रहा था जिस के इतिहास में महिलाओं ने ना केवल राजपाट संभाला बल्कि पुरुषों के समान और कई बार उनसे बेहतर शासन व्यवस्था चलाई। भारत की आजादी की लड़ाई में महिलाओं ने बिना पुरुषों की मदद के अपने स्तर पर अंग्रेजों से संघर्ष किया और इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया।

लंबी बहस के बाद महिलाओं को UPSC परीक्षा के लिए पात्रता मिली

स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद भारत सरकार के इस निर्णय के खिलाफ लंबी बहस चली। कांग्रेस पार्टी और भारत की संसद में ऐसे कई नेता थे जो महिलाओं को ना केवल महत्व देते थे बल्कि उन्हें पुरुषों से अलग इंडिपेंडेंट मानते थे। लंबी बहस के बाद दिनांक 17 जुलाई 1948 को महिलाओं को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने की पात्रता घोषित की गई।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !