CM RISE SCHOOL के लिए क्या खोना पड़ेगा, यहां पढ़िए

भोपाल
। सीएम राइज के तहत प्रस्तावित 9200 विद्यालयों को अस्तित्व में लाने के लिए 1500 करोड़ रुपयों मप्र में व 15000 विद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी पक्षों को शामिल कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा बजट 2021-22 में प्रावधान किया गया है। 

मप्र अधिकारी कर्मचारी संयुक्त कल्याण समन्वय समिति के प्रांतीय अध्यक्ष उदित सिंह भदौरिया संयोजक प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय महामंत्री कन्हैयालाल लक्षकार, हरीश बोयत, जगमोहन गुप्ता, यशवंत जोशी ने संयुक्त प्रेस नोट में बताया कि सीएम राइज से बड़ी संख्या में विद्यालयों व शिक्षकों के पदों का विलय होगा। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रति एक, तीन, पांच व दस किलोमीटर की दूरी पर क्रमशः प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खोले गये थे। इनमें न्यूनतम प्राथमिक में 2 व माध्यमिक विद्यालय में 3 शिक्षकों के पद स्वीकृत थे। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद बड़ी संख्या में शाला भवन व परिसर में शौचालय निर्माण व किचनशेड पर भारी भरकम राशि व्यय की जा चुकी है। 

देश में वर्तमान में लगभग 12 से 14 लाख शिक्षकों के पद रिक्त है। मप्र के बजट में 24200 शिक्षकों की भर्ती का लक्ष्य रखा गया है। प्रति जनशिक्षा केंद्र में संचालित सभी विद्यालयों का विलय कर, दो या तीन "सीएम राइज" विद्यालय खोला जाना प्रस्तावित है। बंद विद्यालय के शिक्षकों को उक्त विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा। इसका दुष्परिणाम यह होगा कि नवीन शिक्षक भर्ती की आवश्यकता नहीं होगी, उल्टे हजारों शिक्षक अतिशेष होंगे। सबसे छोटा तबका रसोइया व स्व-सहायता समूह की हजारों महिलाओं पर रोज़ी रोटी का खतरा मंडराने लगेगा। 

एक, तीन, पांच व दस किलोमीटर के दायरे में आने वाले खरबों की लागत से निर्मित शाला भवन, किचनशेड शौचालय कबाड़ हो जाएंगे। इनमें असामाजिक तत्वों का जमावड़ा, जुआरियों एवं नाड़ियों का पनाहगार व अतिक्रमण कर्ताओं को खुला आमंत्रण होगा। इससे देहाती क्षेत्रों में अपराधियों के होंसले तो बुलंद होंगे वहीं सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न होगा। 

अरबों खरबों की बुनियादी सुविधाओं को अनुपयोगी कर बदहाली में छोड़ना अनिवार्य व निशुल्क शिक्षा कानून का उल्लंघन  नहीं होगा? शिक्षा पर सरकार के "यू टर्न" से शिक्षित बेरोजगारों में मायूसी व स्थानीय स्तर पर महिला रसोइया के रोजगार में कमी व बालिका शिक्षा प्रभावित होने की संभावना बलवती हो रही है! 

योजना कोई भी चालू करें लेकिन चलती व्यवस्था व मिलती सुविधाओं को इससे अछूता रखा जाना चाहिए। सभी पक्षों को ध्यान में रखकर गहन मंथन व समीक्षा कर निर्णय लेना ही सभी के हीत में होगा। प्रदेश की संवेदनशील सरकार से यही अपेक्षा है। 

भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!