कर्मचारी किसी भी अस्पताल से इलाज कराए, सरकार को मेडिक्लेम देना होगा: सुप्रीम कोर्ट - NATIONAL NEWS

नई दिल्ली।
भारत के तमाम केंद्रीय कर्मचारी, पेंशनर्स एवं सभी राज्य शासन के कर्मचारियों के हित में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी देश के किसी भी अस्पताल में इलाज करवा सकता है। सरकार उसे मेडिक्लेम देने से इनकार नहीं कर सकती। सरकार को केवल इतना सुनिश्चित करना है कि इलाज करने वाला डॉक्टर और अस्पताल मान्यता प्राप्त है या नहीं एवं कर्मचारी ने सचमुच इलाज कराया है या नहीं। 

भारत के सभी मान्यता प्राप्त अस्पताल शासकीय कर्मचारियों के इलाज के लिए वैलिड

भारत के सर्वोच्च न्यायालय की दो सदस्य पीठ ने कहा कि सरकार अपने केंद्रीय कर्मचारी को मेडिक्लेम देने से इनकार नहीं किया जा सकता। चाहे उसने इमरजेंसी को दौरान किसी निजी अस्पताल से इलाज कराया हो। न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि अगर कोई कर्मचारी या पेंशनर किसी अस्पताल में इलाज नहीं करवाता जो सरकारी पैनल में नहीं है। केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना के सूचीबद्ध हॉस्पिटलों की लिस्ट में नहीं है। उसे मेडिक्लेम देने से मना नहीं किया जा सकता। 

पीठ ने आगे कहा, सरकार को आंकड़ों के आधार पर तय करना होगा कि कर्मचारी या पेंशनर जो क्लेम कर रहा है, वह मान्यता प्राप्त डॉक्टर और अस्पताल के रिकॉर्ड में शामिल हो। सरकार यह जांचना होगा कि संबंधित शख्स ने सही में अपना उपचार कराया है। अगर जानकारी सही हैं तो मेडिक्लेम कानूनी तौर पर मिलना चाहिए। 

इस फैसले से पहले तक क्या होता था 

केंद्र सरकार एवं भारत की विभिन्न राज्य सरकारें अपने अपने स्तर पर कुछ चुनिंदा अस्पतालों को इलाज के लिए मान्यता प्रदान करती थी। शासकीय कर्मचारियों को इन्हीं अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ता था। यदि वह सरकारी लिस्ट के बाहर किसी दूसरे अस्पताल में इलाज कराते हैं तो उन्हें मेडिक्लेम का लाभ नहीं दिया जाता था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कोई भी सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थान अपने कर्मचारी को किसी विशेष अस्पताल में इलाज कराने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।

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