IPS मधु कुमार को मिले लिफाफा में रिश्वत नहीं रिपोर्ट थी: लोकायुक्त की जांच का निष्कर्ष - MP NEWS

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भोपाल
। दिनांक 20 जुलाई 2020 को भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी वी. मधु कुमार का एक वीडियो वायरल किया गया था। बताया गया था कि इस वीडियो में कुछ कर्मचारी वी. मधु कुमार को रिश्वत के लिफाफे दे रहे हैं। लोकायुक्त ने इस मामले की जांच की और बताया है कि लिफाफा में रिश्वत नहीं बल्कि रिपोर्ट थी। इसी के साथ आईपीएस वी. मधु कुमार को निर्दोष घोषित किया गया।

वायरल वीडियो के कारण वी. मधु कुमार को परिवहन आयुक्त पद से हटा दिया था

आईपीएस वी. मधु कुमार के खिलाफ जब रिश्वतखोरी के आरोप लगे तो सरकार ने उन्हें परिवहन आयुक्त के पद से हटा दिया था। मधु कुमार को पुलिस मुख्यालय में अटैच किया गया था। लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट आने के बाद मधु कुमार को पुलिस मुख्यालय आईटीआई के पद पर पदस्थ कर दिया गया है।

लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट में क्या लिखा है 

लोकायुक्त ने जांच के बाद निष्कर्ष में बताया कि जो वीडियो वायरल किया गया है वह 30 जनवरी 2016 का है। मधु कुमार सिंहस्थ की समीक्षा के लिए वहां गए थे। लोकायुक्त एसपी ने वीडियो में दिख रहे उन 5 लोगों के बयान दर्ज किए, जो मधु कुमार को लिफाफे दे रहे थे। सभी कर्मचारियों ने बयान दिया है कि उन्होंने लिफाफे में जांच रिपोर्ट सौंपी थी। वीडियो कैलिफोर्निया से 18 जुलाई को जारी किया गया था। जिस शख्स ने वीडियो जारी किया था उसने अपना मोबइल भी बंद कर लिया। 

कुछ सवाल जो शेष है 
यदि लिफाफा में जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी तो उन पांच कर्मचारियों ने तत्काल बयान क्यों नहीं दिए। मधु कुमार को परिवहन आयुक्त पद से हटाए जाने तक इंतजार क्यों किया गया। 
आईपीएस वी. मधु कुमार ने वीडियो को फर्जी बताते हुए मामला दर्ज क्यों नहीं कराया। जबकि वह तो जानते थे कि लिफाफा में रिश्वत नहीं रिपोर्ट है। 
लोकायुक्त ने वीडियो जारी करने वाले व्यक्ति के नाम का खुलासा क्यों नहीं किया। 
वीडियो जारी करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया। यदि फिलहाल उसका मोबाइल बंद है तो इसका अर्थ यह नहीं हो सकता कि उस व्यक्ति का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है।
क्या सभी अधिकारी ऐसा करते हैं कि जांच रिपोर्ट लेकर उस लिफाफे को अपने पैरों के नीचे छुपा लेते हैं।
सबसे बड़ा सवाल है कि ऐसी कौन सी इन्वेस्टिगेशन थी जिसकी जांच रिपोर्ट सब लोग अलग-अलग आकर बंद लिफाफा में दे रहे थे।
कितनी अच्छी परंपरा है कि जब कोई इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर जांच रिपोर्ट लेकर आता है तो कमिश्नर रिपोर्ट के बारे में कुछ नहीं पूछते सिर्फ इतना पूछते हैं 'कोई दिक्कत तो नहीं'


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