शरीर में दर्द होता है तो आँखों से आँसू क्यों बहने लगते हैं - SCIENCE in सरल हिंदी

यदि आप के दाएं हाथ में दर्द है तो बाएं हाथ को कोई फर्क नहीं पड़ता और पैरों को तो पता था कि नहीं चलता, लेकिन आंखों से आंसू निकलने लगते हैं। जिंदगी का आंसुओं से बड़ा गहरा रिश्ता है। सुख हो या दुख आंखों से आंसू निकल ही आते हैं। कई बार बहुत ज्यादा हंसने पर भी आंसू निकलने लगते हैं और प्याज काटने पर भी आंसू निकलते हैं। बिना किसी भावना और एहसास के मगरमच्छ वाले आंसू भी कुछ लोग निकाल लेते हैं। यहां अपन बात कर रहे हैं कि जब शरीर में कहीं दर्द होता है अथवा चोट लगती है तो आंखों से आंसू क्यों बहने लगते हैं। दिल के दर्द का आंसुओं से रिश्ता है यह तो सभी को पता है परंतु शरीर के दर्द का आंसुओं से क्या रिश्ता है, आइए विज्ञान की किताब में ढूंढते हैं:-

आंसू अपने आप क्यों निकलने लगते हैं, क्या आंसुओं को निकलने से रोका जा सकता है

आँसू मुख्य रूप से जमीन पर रहने वाले कशेरुकी या हड्डियों वाले जंतुओं में (Vertebrates) तथा कुछ समुद्री स्तनपाई जीवों (marine mmammals) में पाए जाते हैं। चूँकि हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की ग्रंथियां (Glands) पाई जाती हैं। जिनसे विभिन्न प्रकार के स्राव (secretion) निकलते रहते हैं। जैसे- लार ग्रंथियों से लार (Saliva from salivary glands), स्वेद ग्रंथियां से स्वेद या पसीना  (Sweat from sweat glands), वसा ग्रंथियों से तेल (oil from sebaceous glands) ,दुग्ध ग्रंथियों से दुग्ध (Milk from mammary glands), अश्रु ग्रंथियां से अश्रु (Tears from Lacrymal glands) आदि। यह सभी ग्रंथियां हमारे स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (ऑटोनॉमस नर्वस सिस्टम) से जुड़ी होती हैं। जो किसी सेंसेशन (physical, chemical, emotional) के कारण उत्तेजित होकर अपना अपना स्राव निकालती हैं। 

आंखों में आंसू कहां भरे होते हैं

हमारी आंखों के ऊपर अश्रु ग्रंथियां (Lacrymal glands) पाई जाती हैं जो कि  लगातार एक Aquous layer (जलीय परत) छोड़ती रहती हैं। जिसके कारण हमारी आंख का कॉर्निया हमेशा गीला बना रहता है परंतु किसी दु:ख -दर्द, तकलीफ, संवेग के कारण एक रिफ्लेक्स एक्शन होता है और यह अश्रु ग्रंथियां अधिक मात्रा में आंसुओं का निर्माण करती हैं और हमारी आंखों से इनका ओवरफ्लो होता है जो हमें आँसूओं के रूप में दिखाई देता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article

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