भोपाल। प्राइवेट स्कूल संचालकों के दबाव में आकर सरकार ने हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों की नियमित कक्षाएं प्रारंभ करने के आदेश तो जारी कर दिए परंतु पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है। उनका स्पष्ट कहना है 'नो वैक्सीन नो स्कूल'। स्थिति यह है कि स्कूल संचालक स्टूडेंट्स का और बच्चों के पेरेंट्स वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन को स्टूडेंट तक पहुंचने में अभी काफी समय लगेगा।
स्कूल स्टूडेंट्स को वैक्सीन कब तक मिलेगी
कोरोना की वैक्सीन 18 साल से कम उम्र के बच्चों को लगेगी या नहीं? इस पर एक्सपर्ट्स ने बताया नई वैक्सीन बाजार में आएगी, इसलिए पहले इसके सेफ्टी कवर को जांचा-परखा जाएगा। इसके बाद बच्चों को भी टीका लगाया जाएगा। कोविड के स्टेट एडवाइजर MP डॉ. लोकेंद्र दवे ने कहा- वैक्सीन का सेफ्टी कवर सिक्योर होने के बाद 18 साल से कम उम्र बच्चों को लगाया जाएगा। 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल नहीं करने के पीछे भी यही वजह रही है।
पेरेंट्स का सिर्फ एक ही कहना है: NO वैक्सीन NO स्कूल
कुछ पैरेंट्स ने कहा हम बच्चों को जोखिम में नहीं डाल सकते। जब तक बच्चों को टीका नहीं लग जाता, उन्हें स्कूल नहीं भेजेंगे। अयोध्या नगर एक्सटेंशन निवासी महेश चौधरी की बेटी 9वीं में पढ़ती हैं। उन्होंने कहा- वह किसी भी सूरत में बेटी को स्कूल नहीं भेजेंगे। शासन ने निर्णय जरूर लिया है, लेकिन इसमें अभिभावकों की सहमति नहीं है। जब तक बाजार में वैक्सीन नहीं आ जाती और वह वैक्सीन सुरक्षित नहीं होती है, तब तक हम अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजेंगे। मेरी कई अभिभावकों से बात हुई है, वह भी अपने बच्चों को नहीं भेज रहे हैं। संगीता नेरकर ने कहा- उनका बेटा 11वीं में पढ़ता है, लेकिन उसे स्कूल नहीं भेजना चाहते। ऑनलाइन पढ़ाई ही ठीक है। स्कूल वाले बच्चे की सुरक्षा की गारंटी लें तो हम भेजने को तैयार हैं।
स्कूलों ने दबाव डाला तो कोर्ट जाएंगे: भोपाल पालक संघ
मध्य प्रदेश पालक संघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने कहा- स्कूल खोले जाने के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन इसके नाम से निजी स्कूलों द्वारा फीस वसूली नहीं होना चाहिए। बच्चा अगर आना चाहता है और माता-पिता की सहमति है, तो स्कूल में प्रवेश दिया जाए। उसकी पढ़ाई नियमित हो, लेकिन जो नहीं आ रहे हैं उन्हें नियमित ऑनलाइन क्लास दी जानी चाहिए।