कमलनाथ की स्वीकार्यता बढ़ाने, फिर से किस्से सुनाए जा रहे हैं - MP NEWS

मध्य प्रदेश की कांग्रेस पार्टी में कमलनाथ की स्वीकार्यता को बढ़ाने के लिए एक बार फिर वही सब किस्से सुनाए जा रहे हैं, जो इससे पहले कई बार सुनाए जा चुके हैं। मजेदार बात यह है कि 2018 में इन्हीं खबरों के कारण कमलनाथ को मध्यप्रदेश में सर्वमान्य नेता का दर्जा हासिल हो गया था। बातें कुछ भी हो रही हो परंतु टारगेट सिर्फ एक है, कमलनाथ को कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बनाए रखना। उल्लेख करना जरूरी है कि नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए बाला बच्चन का नाम तय हो चुका है। जब तक दिग्विजय सिंह नहीं चाहे नहीं चाहे इसमें कोई फेरबदल नहीं होना है।

कमलनाथ की पीआर एजेंसी किस तरह की खबरें प्रकाशित/प्रसारित करवा रही है 

संजय गांधी के लिए कमलनाथ जेल चले गए थे। (रिकॉर्ड बताता है कि न्यायालय में कमलनाथ ने न्यायाधीश के समक्ष अभद्रता पूर्ण व्यवहार किया था इसलिए उन्हें जेल भेजा गया था।) 
कमलनाथ सभी को साथ लेकर चलते हैं। (इस्तीफा देने वाले कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कमलनाथ अकेले आगे चलना पसंद करते हैं। को ना तो किसी को साथ लेते हैं और ना ही किसी से बात करते हैं।)
कमलनाथ को 40 साल की सफल राजनीति का अनुभव है। (यदि अनुभव होता तो 15 महीने में सरकार नहीं गिर जाती। जनता के बीच बयानों की बात और है लेकिन इस तरह का सत्ता परिवर्तन हमेशा बेड पॉलिटिकल प्रैक्टिस के कारण होता है।) 
छिंदवाड़ा में लोग कमलनाथ के अलावा किसी को पसंद नहीं करते। (कमलनाथ स्वीकार होते तो अजय चौरे कमलनाथ को छोड़कर भाजपा में नहीं आते। छिंदवाड़ा में चौरे परिवार कांग्रेस नहीं बल्कि कमलनाथ की राजनीति करता था। कमलनाथ टिकट देते हैं इसलिए कांग्रेस के मैंडेट पर चुनाव लड़ते हैं।)

अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं कमलनाथ। (पेशकश करने की क्या जरूरत है, इस्तीफा देना चाहिए। यदि जीत का सेहरा अपने सिर बना देखना चाहते हैं तो हार की जिम्मेदारी भी स्वीकार करना चाहिए।)
गांधी परिवार के सबसे विश्वासपात्र। (पुरानी बात है, इन दिनों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कमलनाथ से नफरत करते हैं। कमलनाथ विश्वास पात्र होते तो उपचुनाव में राहुल गांधी वह बयान क्यों देते हैं और प्रियंका गांधी अपना रोड शो निरस्त क्यों करतीं।)

कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में वापसी दिलाई। (2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जीत नहीं हुई थी बल्कि 2003 (दिग्विजय सिंह) की तरह मध्य प्रदेश की जनता अपने मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) से नाराज थी और इसलिए कांग्रेस का थोड़ा सा वोट प्रतिशत बढ़ा।) 

9 बार छिंदवाड़ा से सांसद चुने गए कमलनाथ। (इसके आधार पर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, सीएम कैंडिडेट सहित कांग्रेस पार्टी के प्रत्येक पद पर तो नहीं बिठाया जा सकता। कमलनाथ सिर्फ छिंदवाड़ा जीत सकते हैं। स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा आता है, छिंदवाड़ा में मध्य प्रदेश नहीं।)

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