भोपाल। नोएडा उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार किए गए जबलपुर स्टेट साइबर सेल की सब इंस्पेक्टर राशिद परवेज खान, सब इंस्पेक्टर पंकज साहू एवं कॉन्स्टेबल आसिफ खान के मामले में खुलासा हुआ है कि 54000 की ठगी की शिकायत के आधार पर आरोपियों का बैंक अकाउंट सीज करके ₹28 लाख की रिश्वत वसूली जा चुकी थी और FIR दर्ज न करने एवं बैंक में सीज अकाउंट को फ्री करने के बदले ₹20 लाख की रिश्वत वसूलने के लिए पुलिस की टीम नोएडा गई थी। इसी दौरान आरोपी और पुलिस टीम के बीच विवाद हो गया और मामला उत्तर प्रदेश पुलिस तक पहुंच गया। कहानी स्पष्ट होने के बाद मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में डिपार्टमेंटल इंक्वायरी शुरू कर दी है।
₹54000 की ठगी की शिकायत हुई थी
27 अक्टूबर को जबलपुर निवासी चंद्रकांत दुबे ने शिकायत की कि पोंजी स्कीम के झांसे में फंसाकर उनसे 54 हजार की ठगी हुई है। चंद्रकांत दुबे को सायबर फ्रॉड करने वालों ने सस्ते में साफ्टवेयर डेवलप करने का झांसा दिया था। इस मामले में अभी FIR तक दर्ज नहीं है। साइबर सेल ने प्रकरण की जांच के बाद नोएडा के सेक्टर 18 स्थित ICICI BANK में संचालित आरोपी का खाता सीज कराया।
सीज किए गए बैंक अकाउंट में ₹58 लाख थे, इसलिए मोटी रिश्वत वसूली गई
बैंक अकाउंट सीज करने के आदेश जारी करने से पहले तक इस अकाउंट में ₹10000000 की रकम थी लेकिन जब तक खाता सीज हो पाता आरोपियों ने 4200000 रुपए निकाल लिए थे। खाते में वर्तमान में कुल 58 लाख रुपए हैं। जबलपुर पुलिस के दोनों अधिकारी शीश किए गए खाते को फ्री करने और मामले की जांच को क्लोज करके FIR दर्ज नहीं करने के बदले रिश्वत मांग रहे थे, लेकिन इससे पहले एक विवाद में सब इंस्पेक्टर की सर्विस रिवाल्वर लूट ली गई और उसके बाद मामले का खुलासा होता चला गया।
आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं चिटफंड योजना के संचालक
तीनों पुलिस कर्मियों के साथ गिरफ्त में आए पिस्टल लूटकांड के आरोपी सूर्यभान यादव और शशिकांत यादव आजमगढ़ के रहने वाले हैं। सूर्यभान सेक्टर-12 में, जबकि शशिकांत गाजियाबाद के खोड़ा में रहता है। दोनों MCA पास हैं और पोंजी स्कीम के तहत लंबे समय से फ्रॉड कर रहे थे। नाेएडा के सेक्टर-20 थाने की पुलिस ने पुलिस कर्मियों व आरोपियों से मैकबुक व आठ मोबाइल जब्त कर ली है।
सर्विस रिवाल्वर की लूट के कारण नोएडा पुलिस इंवॉल्व हुई
18 दिसंबर 2020 शुक्रवार को सेक्टर-18 में निजी बैंक के सामने एसआई राशिद से पिस्टल लूट हुई थी। इस मामले में कोतवाली सेक्टर-20 में कार सवार अज्ञात पांच-छह युवकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी। छानबीन में पता लगा कि जिस शिकायत की जांच में सब इंस्पेक्टर नोएडा आए थे, उस मामले में आरोपित सूर्यभान यादव से वह लोग तीन दिन से संपर्क में थे। वह लोग सूर्यभान यादव के खाते को पहले फ्रीज भी करा चुके थे। उस खाते में 58 लाख रुपये थे। उसी खाते को डी-फ्रीज कराने के लिए उस दिन बैंक गए थे। डी-फ्रीज कराकर खाते से रकम निकलवाकर सायबर टीम द्वारा कुछ रकम शिकायतकर्ता चंद्रकांत दुबे के खाते मे ट्रांसफर किए जाने व अन्य धनराशि सायबर टीम द्वारा अपने पास रखकर सूर्यभान यादव को इस मामले में बचाने की प्लानिंग थी।
आरक्षक के खाते में ट्रांसफर की गई थी रिश्वत की रकम
जब पुलिस ने सूर्यभान यादव को पकड़कर पूछताछ की, तो पता लगा है कि जबलपुर पुलिस की टीम ने उन्हें फंसाकर जेल भेजने की धमकी दी थी। इसके बाद 16 से 18 दिसंबर के बीच साइबर सेल जबलपुर की टीम ने अलग-अलग तरीके से 4 लाख 70 हजार रुपए कैश ले चुकी है। सूर्यभान ने पुलिस को बताया कि बिट क्वाइन सहित अन्य माध्यम से करीब 24 लाख रुपए पोंजी स्कीम मामले में शिकायतकर्ता चंद्रकांत दुबे को ट्रांसफर किया गया है। वही रकम फिर से साइबर सेल की टीम के आरक्षक आसिफ अली के खाते में ट्रांसफर किया गया है।
सूर्यभान यादव के दोस्त मनोज ने दोस्तों संग मिलकर लूटी थी पिस्टल
नोएडा पुलिस अपर पुलिस आयुक्त लव कुमार के मुताबिक, पिस्टल लूट की जांच में एक वीडियो सामने आया। इसमें पिस्टल लूटकर भाग रहे आरोपितों की कार का नंबर दिख गया था। दिल्ली नंबर की कार के आधार पर पुलिस को मनोज तिवारी नाम के व्यक्ति के बारे में पता लगा। सर्विलांस से पता चला कि मनोज, सूर्यभान के संपर्क में था। इसके बाद पूछताछ में पता लगा कि सूर्यभान के कहने पर ही मनोज ने साइबर सेल की टीम को सबक सिखाने की प्लानिंग की थी। इसी प्लानिंग के तहत मनोज अपने चार-पांच अन्य साथियों के साथ सेक्टर-18 पहुंचा था और सब इंस्पेक्टर से उलझ कर पिस्टल लूट की वारदात को अंजाम देकर फरार हुआ। मनोज के पकड़े जाने पर लूटी गई पिस्टल बरामद होने की उम्मीद है।
एडीजी स्टेट साइबर ने दिए प्राथमिक जांच के आदेश
एडीजी स्टेट साइबर सेल ए साई मनोहर ने मामले में प्राथमिक जांच के आदेश दिए हैं। भोपाल स्टेट साइबर सेल के एसपी गुरुकरन सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। 27 तक जांच रिपोर्ट मांगी है। आदेश में कहा गया है कि आरोपित पुलिस कर्मियों के अलावा अन्य अधिकारी या कर्मी की भूमिका मिलती है, तो उसे भी जांच में शामिल करेंगे। 54 हजार की ठगी से संबंधित पूरा दस्तावेज जांच अधिकारी और नोएडा पुलिस आयुक्त व थाना सेक्टर 20 को उपलब्ध कराने को कहा है।