इंदौर। इंदौर कलेक्टर श्री मनीष सिंह सहित भारतीय प्रशासनिक सेवा मध्य प्रदेश कैडर के चार अफसरों के खिलाफ उज्जैन में लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 और आईपीसी की धारा 120बी के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया है। आरोपी बनाए गए शेष अफसरों में नितिन गडकरी के OSD संकेत भोंडवे, ग्रामीण विकास निगम के CEO शशांक मिश्र और PWD के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई शामिल है। यह प्रकरण हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज किया गया। इससे पहले 5 आईएएस और 3 एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों पर मामला दर्ज हो चुका है। कुल 20 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है।
एक विमान का पार्किंग शुल्क मात्र ₹100 वसूलना था
उज्जैन में देवास रोड पर मध्य प्रदेश सरकार की दताना-मताना हवाई पट्टी है। लोकायुक्त पुलिस के इंस्पेक्टर बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार ने इसे 2006 में यश एयर लिमिटेड और सेंटॉर एविएशन एकेडमी इंदौर को लीज पर दिया था। राज्य सरकार और कंपनी के बीच 7 साल के लिए अनुबंध हुआ था। यश एयरवेज को नाइट पार्किंग के लिए 5700 किलो वजनी विमानों के लिए 100 रुपए चुकाने थे। ज्यादा वजनी विमानों के लिए यह चार्ज 200 रुपए था। कंपनी ने यह रकम सरकार को नहीं दी।
यश एयर लिमिटेड इंदौर:10.50 लाख रुपए जमा करने थे, 01.50 लाख रुपए कराएं
यश एयर लिमिटेड इंदौर पर आरोप है कि उसे हवाई पट्टी के रखरखाव के लिए पीडब्ल्यूडी की तरफ से खर्च किए गए रुपए भी चुकाने थे। कंपनी ने यह रकम भी नहीं चुकाई। सरकार और कंपनी का समझौता 2013 में खत्म हो गया। अनुबंध की शर्तों के मुताबिक, यश एयरवेज को सालाना 1.50 लाख रुपए जमा कराने थे लेकिन, कंपनी ने 7 साल में कुल 1.50 लाख रुपए ही जमा किए। इस तरह सरकार को लाखों रुपए का चूना लगा लेकिन, तमाम IAS कंपनी पर मेहरबान बने रहे।
सभी IAS अफसर प्रमुख पदों पर और प्रभावशाली
लोकायुक्त की तरफ से आरोपी बने IAS संकेत भोंडवे अभी केन्द्र में डेपुटेशन पर हैं। वे केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के OSD हैं। मनीष सिंह इंदौर के कलेक्टर हैं। शशांक मिश्र ग्रामीण विकास निगम के सीईओ हैं। वहीं, नीरज मंडलोई पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव हैं। इधर, पहले आरोपी बनाए गए IAS शिवशेखर शुक्ल कला-संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव हैं। एम. गीता छत्तीसगढ़ में रायपुर की कलेक्टर हैं। बीएम शर्मा और अजातशत्रु रिटायर हो चुके हैं। कविंद्र कियावत भोपाल कमिश्नर हैं।
9 कलेक्टर और PWS के 3 इंजीनियरों ने क्या गलती की
समझौते की शर्तों में साफ लिखा गया था कि हवाई पट्टी की सुरक्षा की समीक्षा उज्जैन कलेक्टर करेंगे। यश एयर लिमिटेड ने सालाना फीस के 1.50 लाख रुपए जमा किए या नहीं, इसकी निगरानी भी कलेक्टरों को करनी थी लेकिन, अफसरों ने यह नहीं किया। कंपनी से हवाई पट्टी के मेंटेनेंस की निगरानी पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को करनी थी। तमाम अफसर कंपनी पर मेहरबान बने रहे। नतीजतन, सरकार को लाखों रुपए का चूना लगता रहा।
इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 और आईपीसी की धारा 120 बी के तहत दर्ज हुआ केस
अजातशत्रु श्रीवास्तव, डॉ. एम. गीता, बीएम शर्मा, कविंद्र कियावत, संकेत भोंडवे, मनीष सिंह, शशांक मिश्र और नीरज मंडलोई (सभी उज्जैन के कलेक्टर रहे हैं)।
एसएस सलूजा, एके टुटेजा और जीपी पटेल (सभी पीडब्ल्यूडी उज्जैन में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, रहे हैं)।
अरुण गुर्टू, यशराज टोंग्या, भरत टोंग्या, शिरीष चुन्नीवाला दलाल, वीरेंद्र कुमार जैन, दुष्यंत लाल कपूर, शिवरमन, दिलीप रावत (सभी यश एयर लिमिटेड इंदौर/ सेंटॉर एविएशन एकडमी इंदौर के संचालक)।