भ्रष्टाचार: प्रदीप वर्मा के घर से गायब हुए करोड़ों के गोल्ड की EOW को तलाश, घर की तलाशी में एक तौला सोना नहीं मिला - GWALIOR NEWS

ग्वालियर
। भ्रष्टाचार के मामले में EOW द्वारा गिरफ्तार किए गए नगर निगम के सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा के घर EOW की टीम को एक तोला सोना भी नहीं मिला। EOW अधिकारियों का विश्वास है कि भारत में ऐसा कोई घर नहीं हो सकता जहां गोल्ड ना हो। प्रदीप वर्मा के परिवार वालों ने सोने के भंडार को कहीं छुपा दिया है, EOW उसकी तलाश कर रही है।

EOW की टीम को 10 फुट ऊंची दीवार फांद कर घर में घुसना पड़ा

नगर निगम के भ्रष्ट अफसर प्रदीप वर्मा के घर की तलाशी लेने के लिए ईओडब्ल्यूू टीम को दस फीट ऊंची दीवार फांदकर घर में घुसना पड़ा। ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि घर वालों को इस बात की भनक लग चुकी थी कि घर का मुखिया भ्रष्टाचार करते हुए पकड़ा जा चुका है और अब कभी भी ईओडब्ल्यू की टीम घर पर पहुंच सकती है। ईओडब्ल्यूू ने जब आधी रात को लिखा-पढ़ी पूरी कर इसका घर छोड़ा तो पाया कि इसके वेतन और जीवन शैली में कोई समानता ही नहीं है। 

घर के कोने-कोने में लाखों का सामान लेकिन एक तोला सोना नहीं मिला

सबसे अहम बात यह रही कि प्रदीप वर्मा के पूरे घर की तलाशी लेने के बाद भी पुलिस को सुई बराबर सोना नहीं मिला। ईओडब्ल्यू टीम ने जो सुनार बुलाया था उसने सोने जैसे दिखने वाले जेवर टेस्ट करने के बाद बताया कि यह सब तो नकली हैं। ईओडब्ल्यू टीम का मानना है कि भरे पूरे परिवार के पास सोना ना हो, ऐसा तो हो नहीं सकता। इसके लिए अब इसके लॉकर खंगाले जाएंगे। घर से 15 पास बुक मिली हैं। इन पास बुक की एंट्री को देखने बाद पता चलेगा कि प्रदीप वर्मा के किन-किन बैंकों में लॉकर हैं। छापे से जुड़े अफसरों ने कहा कि अभी बैंक की छुट्टी है और जैसे ही बैंक खुलेंगे इसके खाते सीज करने की कार्रवाई कर दी जाएगी। 

किडनी हुई ट्रांसप्लांट पर घूसखोरी में दम

प्रदीप वर्मा की किडनी खराब होने पर किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की नौबत आई। तब इसकी मां ने इसे किडनी दान दी। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी इसकी घूसखोरी कम नहीं हुई। चूंकि ईओडब्ल्यू टीम को यह बात मालूम थी, इसलिए ईओडब्ल्यू टीम ने प्रदीप वर्मा की मां को अपनी कार्रवाई के दौरान दूर ही रखा ताकि उन्हें कोई सदमा ना बैठ जाए। वहीं पूरी कार्रवाई के दौरान प्रदीप वर्मा बार-बार अपने दिल पर हाथ रखता नजर आया तो ईओडब्ल्यू टीम में शामिल अफसर इससे पूछते रहे कि तबियत बिगड़ रही हो तो डॉक्टर बुलाएं क्या? 

30 लाख वेतन करोड़ों की दौलत

ईओडब्ल्यू ने जो आकलन किया है उसके मुताबिक टाइम कीपर के पद पर 1995 में सरकारी नौकरी शुरु करने वाले प्रदीप वर्मा को शुरुआत में अधिकतम एक हजार रुपए वेतन मिलता होगा जो अब बढ़-बढक़र पचास हजार हो गया। यदि 25 साल में मिला कुल वेतन जोड़ा जाए तो यह 30 लाख के आसपास ही होता है पर इसकी संपत्ति का जो प्रारंभिक आकलन है वह कई करोड़ है। इनमें विनय नगर में आलीशान मकान है। जिसके हर कमरे में शानदार इंटीरियर-एसी है। इस मकान के पीछे ही एक खाली प्लाट भी इसका है। बैंक खाते 15 मिले हैं। इन्हें मंगलवार को खंगाला जाएगा। इनमें हुआ लेन-देन परखा जाएगा। 
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