अम्बानी घराना और चीनी व्यापार / EDITORIAL by Rakesh Dubey

भारत के आम नागरिको को प्रधानमंत्री कितने भी बार आत्मनिर्भरता के संदेश दें, स्वदेशी की बात करें। देश एक उद्ध्योगपति घराना इससे विपरीत मनमर्जी से चलता है। ये अम्बानी घराना है। सस्ती कॉल दर और डाटा के जरिये घरेलू टेलीकॉम क्षेत्र पर कब्जा जमाने वाले मुकेश अंबानी की निगाहें अब ई-कॉमर्स क्षेत्र पर टिकी हैं। उन्होंने देश में सबसे ज्यादा ग्राहक संख्या वाली अमेजन को टक्कर देने के लिए विशेष रणनीति बनाई है। मुकेश अंबानी ने छोटी-छोटी करीब 26 कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद अपनी रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है। इसमें चीन की कम्पनियां भी है। अम्बानी बन्धु के चीन से रिश्ते आज से नहीं हैं। दोनों भाई कहने को अलग-अलग हैं,पर व्यापर ? दोनों पर भारत सरकार की कृपा एक समान है। जिस अनिल अम्बानी को भारत सरकार ने सरकारी कम्पनी से उपर तरजीह दी पहले उस समूह की कहानी।

हाल ही में ब्रिटेन की एक अदालत ने रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी को 21 दिनों के अंदर तीन चीनी बैंकों को लगभग 71.7 करोड़ डॉलर (करीब 54.48 करोड़ रु) का भुगतान करने का निर्देश दिया है। अनिल अंबानी पर चीनी बैंकों का कर्ज है। कोरोना वायरस को देखते हुए लागू की गई प्रोसेस के तहत सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति निगेल टीयर ने लंदन में इंग्लैंड और वेल्स के उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक प्रभाग में फैसला सुनाया और कहा कि अंबानी द्वारा विवादित निजी गारंटी उनके लिए बाध्यकारी है। अदालत ने जारी किए गए आदेश में कहा कि “यह घोषित किया जाता है कि गारंटी प्रतिवादी (अंबानी) के लिए बाध्यकारी है। साथ ही उन्हें बैंकों को ये रकम चुकाने का आदेश दिया गया।“

यह मामला रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) द्वारा 2012 में ग्लोबल रीफाइनेंसिंग के लिए प्राप्त कॉर्पोरेट लोन के लिए दी गई एक कथित पर्सनल गारंटी से संबंधित है।

अम्बानी का पक्ष है जहां तक ब्रिटेन की अदालत के फैसले का सवाल है तो भारत में किसी भी तरह से इसके बाध्यकारी होने का सवाल निकट भविष्य में नहीं उठता। मामले में इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ़ चाइना लिमिटेड, मुंबई ब्रांच, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्ज़िम बैंक ऑफ़ चाइना शामिल है। जानकारी के लिए बता दें कि फरवरी में जज डेविड वाक्समैन ने मामले में सुनवाई पूरी होने तक 6 हफ्तों में 10 करोड़ डॉलर के भुगतान का निर्देश दिया था।

फरवरी में मामले की सुनवाई के दौरान यूके की अदालत में अनिल अंबानी कहा था कि उनकी संपत्ति 'शून्य' है। उन्होंने कोर्ट के सामने ये भी माना था कि वे दिवालिया हैं। उन्होंने कहा था कि शेयरहोल्डिंग का वर्तमान मूल्य और देनदारियों को ध्यान में रखते हुए मेरी संपत्ति शून्य है। हालांकि फोर्ब्स के मुताबिक एक समय 2008 में 42 अरब डॉलर के साथ अनिल अंबानी दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। मगर 12 सालों बाद अदालत में गरीबी का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि उनके पास कोई संपत्ति नहीं है।

दूसरी और बड़े भाई मुकेश अम्बानी की सस्ती कॉल दर और डाटा के जरिये घरेलू टेलीकॉम क्षेत्र पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से निगाहें अब ई-कॉमर्स क्षेत्र पर टिकी हैं। उन्होंने देश में सबसे ज्यादा ग्राहक संख्या वाली अमेजन को टक्कर देने के लिए विशेष रणनीति बनाई है। मुकेश अंबानी ने छोटी-छोटी करीब 26 कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद अपनी रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है।इनमे चीनी कम्पनी भी हैं।

दरअसल, मुकेश अंबानी ने यह दांव अमेजन के मालिक जेफ बेजोस के तर्ज पर ही चला है। बेजोस ने भी अपने कारोबार विस्तार के लिए पिछले दो दशक में 75 से ज्यादा छोटी-छोटी कंपनियां खरीदी या उनमें निवेश किया और दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बनाई।

अंबानी भी दो वर्षों में 17. 41 हजार करोड़ का निवेश इस क्षेत्र में कर चुके हैं। ब्लूमबर्ग इंटेलीजेंस का कहना है कि ये डील देखने में भले ही छोटी रही हों, लेकिन एकसाथ मिलकर इनसे काफी प्रतिभाशाली टीम बनाई जा सकती है, जो किसी उत्पाद को बड़ा प्लेटफॉर्म दे सकते हैं। रेटिंग एजेंसी मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, वर्ष 2028 तक भारत का ई-कॉमर्स बाजार करीब सात गुना बढ़कर 14 लाख करोड़ का हो जाएगा।

मुकेश अंबानी की रणनीति ई-कॉमर्स उपभोक्ताओं को शॉपिंग का अलग अनुभव दिलाने की है। जियो के जरिये उपभोक्ताओं तक ऑनलाइन पहुंच बना चुके मुकेश अंबानी अब ई-कॉमर्स में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए उनकी कंपनी ने 7 अरब रुपये से हैप्टिक इंफोटेक में हिस्सेदारी खरीदी है। यह कंपनी कस्टमर सपोर्ट चैट सर्विस उपलब्ध कराती है। इसी तरह, रेडीज कॉर्प ई-कॉमर्स बिजनेस को इंटरनेट ऑफ थिंग्स का सपोर्ट देगी, जबकि होल्डिंग्स डिजिटल तंत्र मुहैया कराएगी।
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!