फर्जी सर्टिफिकेट बनाने व हस्ताक्षर करने वाले को कितनी सजा होती है, पढ़िए / ABOUT IPC

Bhopal Samachar
फर्जी सर्टिफिकेट का कारोबार तो भारत में काफी पुराना है। जालसाज अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होती है परंतु फिर भी फर्जी सर्टिफिकेट के अपराध लगातार जारी है।कई बार कुछ युवा परिवार या समाज में अपनी धाक जमाने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र बना लेते हैं। आइए जानते हैं कि फर्जी प्रमाण पत्र बनाना या उस पर सिग्नेचर करना कितना गंभीर अप लागत है। 

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 197 की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति झूठा प्रमाण पत्र जारी करता है या फर्जी प्रमाण पत्र में हस्ताक्षर करता है। तब वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत अपराधी होगा। लेकिन ऐसा प्रमाण पत्र विधि (कानून) द्वारा तात्विक तथ्य का साक्ष्य होना चाहिए। 
नोट- 1. अगर कोई रिकॉर्ड उपलब्ध न हो कि जारी किया गया प्रमाण पत्र झूठा था या जारी करने वाले व्यक्ति को पता नहीं है कि प्रमाण पत्र झूठा है और हस्ताक्षर कर दे तो वह 197 के अंतर्गत अपराध नहीं होगा।
2. चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी किया जाना या प्रयुक्त किया जाना धारा 197 के अंतर्गत दण्डनीय नहीं होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 197 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध असंज्ञये एवं जमानतीय होते हैं। न ही किसी भी प्रकार से समझौता योग्य होते हैं। इनकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा की जा सकती है। सजा- तीन वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद म. प्र.) 9827737665
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!