भारत में प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता हैं एवं भारतीय संविधान में भी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। हमारा देश एक धर्म-निरपेक्ष देश होने के नाते सभी धर्मों को समान भाव से देखता है। यदि कोई भी व्यक्ति धर्म से संबंधित अपराध करता है तो भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अध्याय 15, की धारा 295 से 298 धर्म से संबंधित अपराध एवं दण्ड के बारे में जानकारी दी गई है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा,295 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी भी धर्म के धार्मिक स्थान पर निम्न कृत्य करेगा:-
1. पूजा-अर्चना स्थान को गंदा (अपवित्र) करना।
2. अगर कोइ व्यक्ति, गैर-ब्राह्मण या हरिजन(दलित) को मंदिर में प्रवेश से रोकता है, वह व्यक्ति भी इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
3. मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, देव-मूर्तिया, किसी विशेष वर्ग को मानने वाले व्यक्ति के गुरु या महापुरुषों की मूर्तियां आदि को नुकसान पहुचाना या अपवित्र करना इस धारा के अंतर्गत एक दण्डिनीय अपराध है।
आईपीसी की धारा 295 के तहत दण्ड का प्रावधान
धारा 295 का अपराध समझौता योग्य नहीं होता है, और न ही जमानतीय होते हैं एवं इस धारा के अपराध संज्ञये अपराध की श्रेणी में आते हैं।
दण्ड:- किसी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा इस धारा के अपराध में सजा सुनाने का अधिकार है। दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
उधारानुसार वाद:- सईदुल्लाखान बनाम भोपाल राज्य - एक मुस्लिम व्यक्ति ने रास्ते से गुजर रहे हिंदुओं के पवित्र शोभायात्रा विमान पर जलती हुई सिगरेट फेंक दी। सिगरेट विमान में न गिरकर विमान से टकराकर विमान के सामने जमीन पर नीचे गिर गई। न्यायालय ने आरोपी को धारा 295 के अधीन दोषी माना क्योंकि उसने हिंदुओं के पवित्र विमान को अपवित्र करने के उद्देश्य से उस पर जलती हुई सिगरेट फेकी थी।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665