गाय और भैंस दोनों दूध देती हैं फिर केवल गाय पूजनीय क्यों, पढ़िए | GK IN HINDI

बाजार में गाय और भैंस दोनों का दूध मिलता है। गाय कम मात्रा में दूध देती है जबकि भैंस अधिक मात्रा में। गाय जल्दी बीमार पड़ जाती है जबकि भैंस जल्दी बीमार नहीं पड़ती। इंसान दोनों के दूध का उपयोग करता है। सवाल यह है कि फिर केवल गाय को ही पूजनीय पशु क्यों माना गया है। भैंस की पूजा क्यों नहीं की जाती है। इतिहास के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी एवं गुरुमुखी भाषाओं की विशेषज्ञ उषा वाधवा ने इस प्रश्न का बड़ा ही सटीक उत्तर दिया है। आइए पढ़ते हैं:

गाय और भैंस के दूध में अंतर 

गाय का दूध भैंस के दूध से श्रेष्ठतर होता है विशेषकर छोटे बच्चों के लिए क्योंकि वह जल्दी हज़म होता है। प्राचीन काल से लोग यह बात जानते थे। उस समय के बड़े परिवारों में बच्चे भी अनेक होते थे परन्तु अधिक दूध की आवश्यकता होने पर वह दो या तीन गाय पाल लेते थे बजाय एक भैंस के। आज के डाक्टर भी यही कहते हैं। यदि नवजात शिशु को माँ का दूध न मिल पाये तो वह गाय का दूध अथवा pasteurized दूध पिलाने की सलाह देते हैं। उस समय की कथा कहानियों में भी गायें पालने का विवरण मिलता है, भैंसें पालने का नहीं। श्री कृष्ण की कथा में भी गाय पालने का ज़िक्र आता है। भैंस का दूध मक्खन, घी और मिठाइयों के लिए अधिक उपयुक्त है।

कृषि कार्य में गाय और भैंस का महत्व

गाय की यदि बछिया हो तो बड़ी होकर गाय बन जाती है एवं बछड़ा हुआ तो बैल। ट्रैक्टरों के आने से पूर्व खेती में बैल बहुत अहम् भूमिका निभाते थे। प्रेमचन्द की कहानियों में पढ़ा होगा कि किसान अपने घर के भाण्डे बरतन बेचने को तैयार है परन्तु बैलों को नहीं क्योंकि इन्हीं की सहायता से ही वह अगले वर्ष नई फ़सल उगा कर पुराने कर्ज़े चुका पाता था। प्राय ही पालतू पशुओं के नर बच्चे काम नहीं आते सिवा गाय के। भैंस का हो या बकरी का, थोड़ा बड़ा होते ही वह काट कर (गोश्त के लिए) बेच दिया जाता है।

गाय और भैंस के गोबर में अंतर

गाय का गोबर भी बहुत काम आता था। उसके उपले सुखा कर जलाने के काम आते थे जो कि लकड़ियों के साथ उस समय का प्रमुख ईंधन थे। इसके अतिरिक्त कच्चे घरों के फ़र्श और कभी कभी दीवारों पर भी गोबर का लेप दिया जाता था। इससे कीड़े मकोड़े नष्ट हो जाते थे। भैंस का गोबर कीटाणुओं को नष्ट नहीं करता। हां उपले बनाकर जलाया जा सकता है। 

गाय और भैंस के मूत्र में अंतर 

गाय का मूत्र भी औषधियुक्त होता है। अनेक आयुर्वेदिक दवाइयों में इसका प्रयोग होता है जैसे दमा, जोड़ों का दर्द इत्यादि। घर में गाय के मूत्र का छिड़काव भी किया किया जाता था।

खेत के लिए गाय और भैंस का अन्य उपयोग

खाद- जितना भी गोबर बच जाता उस की खाद बना दी जाती थी। कुछ दशकों पूर्व तक रासायनिक उर्वरक (chemical fertilizers) का बहुत गुणगान होता था पर अभी प्रमाणित हो गया है कि जहाँ गोबर की खाद मिट्टी को उपजाऊ बनाती थी वहीं रासायनिक खाद खड़ी फ़सल के फल को तो बड़ा कर देती है परन्तु ज़मीन को बंजर बना देती है जिससे अगली फ़सल बहुत कमजोर हो जाती है। उन दिनों कोई भी घर ऐसा नहीं होता था जिसके द्वार पर दो तीन गाय न बंधी हों।
Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
(current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!