ऑपरेशन आजादी: कमलनाथ के सुपर कॉप्स फेल हुए दो दिग्विजय सिंह के दो सिंघम बेंगलुरु रवाना | MP NEWS

भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में इस्तीफा देने वाले 16 विधायकों को अपने पक्ष में लाने के लिए कमलनाथ ने अपने सुपर कॉप्स (जीतू पटवारी सहित चार मंत्री) बेंगलुरु भेजे थे लेकिन वह फेल हो गए, अब दिग्विजय सिंह ने अपनी टीम के दो सिंघम (विधायक के पी सिंह एवं मंत्री बृजेंद्र सिंह) को बेंगलुरु भेजा है। 

कमलनाथ के ऑपरेशन आजादी में क्या हुआ था 

राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के करीब 11 विधायकों को चुपके से दिल्ली बुलाया था। बातचीत फाइनल हो पाती इससे पहले खेल मंत्री जीतू पटवारी एवं दिग्विजय सिंह के चिरंजीव मंत्री जयवर्धन सिंह ने दिल्ली एनसीआर स्थित एक फाइव स्टार होटल में सर्जिकल स्ट्राइक कर डाली। जीतू पटवारी ने हाय तौबा मचाई तो होटल से चार विधायक निकल आए। बीजेपी का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया। जीतू पटवारी की खूब भाई भाई हुई। जो तुरंत सिंधिया के समर्थन में जब 1 दर्जन से अधिक विधायक बेंगलुरु गए तो कमलनाथ ने फिर से जीतू पटवारी को बेंगलुरु भेज दिया। पटवारी ने वहां जाकर भी काफी हंगामा किया लेकिन दांव उल्टा पड़ गया। पुलिस ने मध्य प्रदेश के मंत्रियों को हिरासत में ले लिया। बड़ी मुश्किल से छूट कर आए। 

दिग्विजय सिंह ने केपी सिंह और वीरेंद्र सिंह को क्यों भेजा 

बृजेंद्र सिंह राठौर टीकमगढ़ जिले के पृथ्वीपुर विधानसभा से विधायक है। दिग्विजय सिंह कोटे से कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। पुराने कांग्रेसी नेता हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी उनकी अच्छी बातचीत होती थी। केपी सिंह शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा से विधायक हैं। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता है। दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री थे। कमलनाथ सरकार में मंत्री पद के प्रबल दावेदार थे परंतु कमलनाथ ने मंत्री पद नहीं दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया के संपर्क में थे इसलिए दिग्विजय सिंह ने नाम आगे नहीं बढ़ाया और मूल रूप से दिग्विजय सिंह समर्थक हैं इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया की लिस्ट में भी के पी सिंह का नाम नहीं था। पिछले 15 महीनों में विधायक केपी सिंह लगातार हाशिए पर रहे। सरकार में उनकी कोई पूछ परख नहीं थी लेकिन अब जबकि कमलनाथ सरकार वेंटिलेटर पर है, उसके सारे सुपरकॉप्स हथियार डाल चुके हैं, पुराने नेताओं की याद आ रही है। एक ऐसा विधायक कमलनाथ की सरकार बचाने निकला है, जिसे पिछले 15 महीनों में कमलनाथ ने एक बार भी मुस्कुरा कर देखा तक नहीं।

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