हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण क्या है | GK IN HINDI

प्राचीन परंपरा है कि भगवान श्री राम भक्त हनुमान के पूरे शरीर पर सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति मंगलवार के दिन हनुमान जी की प्रतिमा पर चोला चढ़ाने के लिए सिंदूर अर्पित करता है उसे भगवान श्रीराम की अनुकंपा प्राप्त होती है। प्रश्न यह है कि हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर क्यों चढ़ाया जाता है। इसके पीछे दो धार्मिक प्रसंग है जिनका अपना उद्देश्य भी है और तीसरा एक वैज्ञानिक कारण है। आइए तीनों की बात करते हैं। 

हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाने की कथा 

इस कथा का वर्णन श्रीरामचरितमानस में किया गया है। अयोध्या में श्री राम का राजतिलक होने के बाद जब राजपाट सुचारू रूप से संचालित होने लगा तब मंगलवार के दिन हनुमान जी भूख से व्याकुल होकर माता सीता के पास पहुंचे। जब हनुमान माता सीता के समक्ष प्रस्तुत हुए तब माता सीता मांग में सिंदूर सजा रही थी। कौतूहल बस हनुमान जी ने माता सीता से पूछा कि हे मां आप यह क्या कर रही हैं और इसके करने का क्या प्रयोजन है। माता सीता ने बताया कि मैं अपने स्वामी की दीर्घायु के लिए मांग में सिंदूर धारण करती हूं। यह कहकर माता सीता रसोई की तरफ चली गई। 

हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर में सिंदूर लपेट लिया और प्रभु श्री राम की सभा में उपस्थित हो गए। जब उनसे प्रश्न किया गया कि उन्होंने ऐसा श्रंगार क्यों किया है तो हनुमान जी बड़े ही सरल भाव से कहने लगे कि माता सीता ने उन्हें बताया है कि सिंदूर का श्रंगार करने से स्वामी की आयु में वृद्धि होती है। मैंने अपने स्वामी को दीर्घायु बनाए रखने के लिए सिंदूर धारण किया है। 

हनुमान जी के सरल भाव को देखकर प्रभु श्री राम बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने घोषणा कर दी कि जो भी व्यक्ति मंगलवार के दिन मेरे भक्त हनुमान को श्रंगार के लिए सिंदूर अर्पित करेगा उसे मेरी विशेष कृपा प्राप्त होगी। तभी से यह परंपरा शुरू हो गई। भगवान श्रीराम को पसंद करने के लिए उनके भक्त हनुमान को सिंदूर अर्पित करते हैं। 

हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाने की दूसरी कथा 

रावण पर विजय प्राप्ति के बाद जब भगवान श्री राम और माता सीता वानर सेना को विदाई दे रहे थे तब माता सीता सभी वानरों को उपहार स्वरूप हीरे मोती एवं अन्य आभूषण प्रदान कर रही थी। इसी क्रम में जब श्री राम भक्त हनुमान माता सीता के समक्ष हुए तो माता सीता ने उन्हें अपने गले में धारण की हुई मूर्तियों की अमूल्य मारा प्रदान की। हनुमान जी उस माला के मोतियों को तोड़ तोड़ कर देखने लगे। 

माता सीता ने जब प्रश्न किया तो उन्होंने कहा कि इनमें प्रभु श्री राम का कोई संकेत नहीं है तब मैंने कैसे धारण कर सकता हूं। उनके भक्ति भाव को देखकर माता सीता ने अपने माथे पर धारण किया हुआ सिंदूर हनुमान जी के ललाट पर लगाते हुए कहा कि यह सिंदूर में अपने स्वामी के लिए धारण करती हूं। इससे अमूल्य कुछ भी नहीं है। तभी से हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करने की परंपरा शुरू हो गई। 

हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करने का वैज्ञानिक कारण 

हिंदू धर्म में जितने भी मंदिर, भगवान की प्रतिमा है, उनके भोग एवं अन्य सामग्रियां परंपराओं में शामिल की गई है उन सब के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण है। जैसे श्रावण मास में विषाक्त हो जाने वाले दूध को शिवलिंग पर अर्पित करने की परंपरा है इसी प्रकार हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर अर्पित करने की परंपरा है। यह परंपरा सिर्फ सिंदूर अर्पित करने तक नहीं है बल्कि हनुमान जी की प्रतिमा पर श्रृंगार के लिए बनाए गए सिंदूर का एक भाग भक्तों को माथे पर लगाने के लिए भी आरक्षित किया जाता है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। 

सिंदूर में पारा होता है। सिंदूर को अपने माथे पर लगाने से मनुष्य में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सिर दर्द और अनिद्रा जैसी बीमारियां नहीं होती। पुरुषों को एकाग्रता की अति आवश्यकता होती है। सिंदूर धारण करने से एकाग्रता में वृद्धि होती है। इसका एक और वैज्ञानिक कारण है। सिंदूर धारण करने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती। बढ़ती उम्र का पता नहीं चलता। समाज में सभी लोगों माथे पर सिंदूर धारण करें इसलिए इसे हनुमान जी की प्रतिमा को अर्पित करने की परंपरा शुरू की गई।
Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
(current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !