काशी-महाकाल एक्सप्रेस: रिजर्व बर्थ से भगवान को हटाया, रसोई से फोटो भी गायब | NATIONAL NEWS

वाराणसी। प्राइवेट ट्रेन काशी-महाकाल एक्सप्रेस के विज्ञापन के लिए IRCTC ने लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर डाला। विशेष रूप से शिवभक्तों के लिए शुरू की गई काशी-महाकाल एक्सप्रेस में एक बर्थ भगवान शिव के लिए रिजर्व की गई थी। यहां छोटा सा मंदिर बनाया गया था परंतु जैसे ही यात्रियों ने सीट बुक करना शुरू किया और सीट खत्म होने लगीं तो पैसा कमाने के लिए IRCTC ने भगवान शिव का मंदिर हटा दिया और भगवान शिव के लिए रिजर्व बर्थ भी यात्रियों के लिए उपलब्ध करा दी। इतना ही नहीं IRCTC ने काशी महाकाल एक्सप्रेस के रसोइयान में रखी गई भगवन शिव की फोटो को हटा दिया। 

IRCTC ने भोलेनाथ के लिए रिजर्व बर्थ का काफी प्रचार कराया था


याद दिला दें कि काशी-महाकाल एक्सप्रेस के रसोईं यान में भगवान शिव की पूजापाठ का इंतजाम किया गया था। शनिवार की सुबह 5:37 बजे ट्रेन कैंट स्टेशन पर आई तो रसोईं यान में फूल-मालाएं रखी दिखीं, लेकिन भगवान शिव और उनका परिवार नहीं दिखा। गौरतलब है कि इससे पहले ट्रेन की बोगी बी-5 की बर्थ नंबर 64 पर भगवान शिव का मंदिर बनाया गया था। जिसे हटा दिया गया। आईआरसीटीसी ने सफाई दी कि नई गाड़ी की सफलता और भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए स्टाफ ने पूजापाठ किया था। यहां बताना जरूरी है कि IRCTC ने इस बात का काफी प्रचार प्रसार करवाया था कि ट्रेन में एक बर्थ भगवान शिव के लिए हमेशा रिजर्व रहेगी। भक्त चलती ट्रेन में भोलेनाथ के दर्शन और आरती कर सकेंगे। 

नाम और रिजर्व बर्थ के कारण आकर्षण का केंद्र बन गई थी महाकाल एक्सप्रेस


बीती 20 फरवरी को बनारस के कैंट रेलवे स्टेशन से महाकाल एक्सप्रेस पहले कामर्शियल रन पर इंदौर के लिए रवाना हुई। बनारस से इंदौर तक ट्रेन में 727 यात्री सवार थे। इंदौर से 584 यात्रियों को लेकर 21 फरवरी की सुबह 10:55 बजे महाकाल एक्सप्रेस काशी के लिए रवाना हुई। 22 फरवरी की सुबह निर्धारित समय छह बजे की बजाय 23 मिनट पहले ही पहुंच गई। कैंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर छह पर ट्रेन खड़ी हुई। सुबह का समय होने के बावजूद भी ट्रेन को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई थी और कई लोग सेल्फी लेते नजर आए।

ट्रेन में मंदिर वगैरह नहीं बना था: मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक

वहीं, रसोईं यान से भगवान शिव का मंदिर हटाए जाने के संबंध में आईआरसीटीसी के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक अश्वनी श्रीवास्तव ने कहा कि यह सब पैंट्रीकार के कर्मियों की आस्था का मामला है। मंदिर वगैरह नहीं बना था। कर्मचारियों ने सफलता के लिए पूजापाठ किया था। वैसे भी हर ट्रेन के पैंट्री कार में कर्मचारी पूजापाठ करते हैं।

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