'गौरैया' के कारण चीन में ढाई करोड़ लोग मर गए थे | क्या आप जानते हैं | GK IN HINDI

इतिहास हमेशा इसलिए लिखा जाता है ताकि उसे सीख कर भविष्य संवारा जाए। चीन इन दिनों सारी दुनिया की सुर्खियों में है। कोरोना वायरस चीन से शुरू होकर दुनिया के 40 देशों में फैल चुका है। इससे मरने वालों की संख्या 1000 के आसपास हो गई है जबकि पीड़ितों की संख्या 10,000 से ज्यादा। फिलहाल पता नहीं चल पाया है कि चीन ने ऐसी कौन सी गलती की जो इस तरह का वायरस पैदा हो गया लेकिन इतिहास बताता है कि चीन की सरकार कई गंभीर गलतियां पहले भी कर चुकी है। आज हम आपको एक ऐसी भयानक और जानलेवा गलती के बारे में बताने जा रहे हैं। 

गौरैया चिड़िया क्या है, यह कितनी उपयोगी है

घटनाक्रम शुरू होने से पहले यह बता दें कि गौरैया इस पृथ्वी पर सबसे संवेदनशील चिड़िया में से एक है। यह इतनी अधिक संवेदनशील है कि रेडियो तरंगों से भी घायल हो जाती है और यह इतनी उपयोगी है कि इसके बिना आप अपने खेतों में अनाज को संक्रमण से बचाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। 

चीन सरकार की एक गलती के कारण ढाई करोड़ लोग मर गए थे 

शीर्षक वैसा ही लिखा गया है जैसा कि सरकार की गलतियों को छुपाने वाले इतिहासकार लिखते हैं। असल में मौत का कारण गौरैया नहीं बल्कि चीन की सरकार थी। बात 1958 की है जब चीन के माओ जेडोंग ने चीन में एक अभियान शुरू करवाया था जिसे four pests campaign का नाम दिया गया था। जिसमें मच्छर-मक्खी, चूहा और गौरैया को मारने का फरमान जारी किया गया। उनका कहना था कि गौरैया खेतों से सारा अनाज खा जाती है इसलिए इसे भी मारना जरूरी है। मच्छर, मक्खी और चूहे के नुकसान तो सबको ही पता हैं कि मच्छर मलेरिया फैलाते हैं, मक्खियां हैजा फैलाती हैं और चूहे प्लेग फैलाते हैं इससे इनका सफाया इंसानों के हित में था।

कथित देशभक्त क्रांतिकारियों ने गौरैया को मरते दम तक प्रताड़ित किया

चीन में उस समय कथित देशभक्त क्रांतिकारियों ने जनता के बीच में इस अभियान को एक आंदोलन की तरह चलाया। लोग बर्तन व ड्रम बजा बजाकर चिड़ियों को उड़ाते रहते और लोगों की पूरी कोशिश होती कि चिड़ियों को खाना ना मिले और बैठने की जगह ना मिले। इससे गौरैया कब तक उड़ती आखिर थक कर गिर जाती और उसे मार दिया जाता।

गौरैया चिड़िया मारने वाले को इनाम दिया जाता था

इसी प्रकार ढूंढ-ढूंढ कर उनके अंडों को फोड़ दिया गया और इस प्रकार उनकी क्रूरता का शिकार चिड़िया व उसके छोटे-छोटे बच्चों को भी होना पड़ा। हालत यह थी कि जो शख्स जितनी गौरैया को मारता उसे स्कूल, कॉलेज के आयोजनों में मेडल और इनाम दिए जाते।

गौरैया चिड़िया का सबसे बड़ा सामूहिक शिकार किया गया

गौरैया को यह बात समझ आ गई थी कि अब उनके लिए कोई भी सुरक्षित जगह नहीं है इसलिए एक बार बहुत सारी गौरैया झुंड बनाकर पोलैंड के दूतावास में जा छूपी, परन्तु गौरैया को मारने वाले वहां भी पहुंच गए और उनके सिर पर खून सवार था उन्होंने दूतावास को घेर लिया और इतने ड्रम बजाए कि उड़ते उड़ते थक करके सारी गौरैया गिर कर मर गईं।

क्या गौरैया चिड़िया को मारने से चीन का अभियान सफल हुआ

अब चीन के लोग खुश थे कि उनका अनाज खाने वाली गौरैया से छुटकारा मिल गया है और अब अनाज सुरक्षित रहेगा। परंतु क्या अनाज सुरक्षित रहा, नहीं बल्कि उल्टा हो गया। अगले दो साल आते-आते 1960 तक लोगों को समझ आ चुका था कि उनसे कितनी बड़ी गलती हो गई है। गौरैया अनाज नहीं खाती थी, बल्कि कीड़ों को खा जाती थी जो अनाज की पैदावार को खराब करने का काम करते थे।

चीन सरकार की एक गलती से ढाई करोड़ लोग मारे गए

गौरैया के मर जाने से नतीजा यह हुआ कि धान की पैदावार बढ़ने की बजाय, तेजी से घटने लगी। टिड्डी और दूसरे कीड़ों की तादाद तेजी से बढ़ने लगी और उनकी आबादी पर लगाम लगाना मुश्किल हो गया। फसलें खराब हो गईं और बुरी तरह से अकाल पड़ गया और इस अकाल में ढाई करोड़ लोग मारे गए।
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