EPF और NPS पर भी लगेगा टैक्स: कर्मचारियों के लिए बुरी खबर

यदि आप प्रोविडेंट फंड, रिटायरमेंट फंड और नेशनल पेंशन सिस्टम में 1 साल में कुल 7.5 लाख रुपए से ज्यादा का निवेश करते हैं तो आपके निवेश पर और उस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा। अब तक कर्मचारियों को इन योजनाओं में टैक्स की छूट मिली हुई थी। आम बजट 2020 में इसकी व्यवस्था कर दी गई है।

बजट प्रस्ताव के मुताबिक, टैक्स बेनिफिट देने वाली तीन निवेश स्कीमें EPF, नैशनल पेंशन स्कीम (NPS) तथा रिटायरमेंट फंड अब टैक्स के दायरे में आ सकते हैं, क्योंकि इसमें निवेश की 7.5 लाख रुपये की अधिकतम सीमा तय कर दी गई है। हालांकि, इसका असर केवल हाई सैलरी पैकेज वाले कर्मचारियों पर ही पड़ेगा।

1 अप्रैल, 2021 से NPS, रिटायरमेंट फंड तथा प्रविडेंट फंड में एक साल में कुल निवेश की अधिकतम सीमा 7.5 लाख रुपये होगी और अगर इसके ऊपर निवेश किया जाता है तो वह टैक्सेबल होगा। बजट में यह प्रस्ताव भी किया गया है कि पिछले साल कमाई गई ब्याज और लाभांश की रकम भी टैक्सेबल होगी।

टैक्स का गणित

इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए, किसी व्यक्ति की बेसिक सैलरी 30 लाख रुपये है, तो नियोक्ता द्वारा किया गया कुल अंशदान होगा...
पीएफ में नियोक्ता का अंशदान- 3.60 लाख रुपये
एनपीएस- 3 लाख रुपये
रिटायरमेंट फंड- 1.50 लाख रुपये
कुल निवेश- 8.10 लाख रुपये
टैक्सेबल अमाउंट- 60,000 रुपये

अब तक नहीं थी कोई ऊपरी सीमा

अब तक नियोक्ता द्वारा पीएफ तथा एनपीएस में अंशदान टैक्सफ्री था और इसकी कोई ऊपरी सीमा भी नहीं थी। नियोक्ता को ईपीएफ में बेसिक सैलरी का 12% तथा कर्मचारियों को एनपीएस में 10% का योगदान करना होता है। इसमें टैक्स छूट का भी लाभ उठाया जा सकता है।
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