जबलपुर। भारत में रेल की शुरुआत जनता को सुविधा देने के लिए की गई थी। रेल किराए का निर्धारण भी लागत के आधार पर नहीं बल्कि पब्लिक की paying capacity (क्रय शक्ति) के आधार पर होता था लेकिन पिछले कुछ सालों से भारतीय रेल एक चतुर बनिया की तरह काम कर रही है। ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए यात्रियों के साथ छल किया जा रहा है। कई स्पेशल ट्रेने 3 साल और इससे भी ज्यादा समय से लगातार चल रही है परंतु रेल मंत्रालय इन्हें नियमित नहीं कर रहा। जबलपुर से पांच स्पेशल ट्रेनें ऐसी है जिनमें यात्रियों की कोई कमी नहीं है, फिर भी इन्हें नियमित नहीं किया जा रहा।
स्पेशल ट्रेन का कांसेप्ट क्या है
सबसे पहले समझिए की स्पेशल ट्रेन का कांसेप्ट क्या है। भारत के कई इलाकों में तीज त्यौहार या क्षेत्रीय धार्मिक मेलों के अवसर पर अचानक यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है। भारतीय रेलवे इस तरह के यात्रियों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया था। मुनाफाखोर अधिकारियों ने बड़ी चतुराई के साथ स्पेशल ट्रेन के साथ स्पेशल किराया भी जोड़ दिया और अब हालत यह है कि जिस रूट पर ट्रेन शुरू कर देनी चाहिए वहां भी वर्षों से स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है।
स्पेशल ट्रेन की 100 सीट पर 120 यात्री
तीन साल से जबलपुर से चल रहीं स्पेशल ट्रेनों को पर्याप्त यात्री मिल रहे हैं। कई ट्रेनों का हाल यह है कि 100 सीट पर तकरीबन 120 यात्री रिजर्वेशन कराते हैं। जबलपुर से पुणे, जबलपुर से बांद्रा, जबलपुर से अटारी, जबलपुर से कोयंबटूर और जबलपुर से हरिद्वार के लिए स्पेशल ट्रेन चल रही हैं। इनमें सभी ट्रेनों का पर्याप्त यात्री भी मिल रहे हैं। इस बार बजट से पूर्व इन ट्रेनों को नियमित करने के लिए जबलपुर मंडल ने प्रस्ताव तैयार कर पमरे जोन को भेजा। यहां से प्रस्ताव रेलवे बोर्ड के पास गया, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली।
पुणे स्पेशल को 8 साल से नियमित होने का इंतजार
जबलपुर से पुणे के बीच एक भी नियमित ट्रेन नहीं चलती। स्थिति ये है कि इस रूट पर सिर्फ एक ट्रेन है, जो पटना से पुणे के बीच चलती है। जबलपुर से पुणे के लिए पिछले 8 साल से स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। इस ट्रेन को पर्याप्त यात्री मिलने के बाद भी इसे नियमित नहीं किया गया। पमरे से इसे नियमित करने का प्रस्ताव भी 8 बार ही तैयार किया, लेकिन 15 फीसदी ज्यादा किराया लेने की वजह से इस बार भी बोर्ड ने इस ट्रेन को नियमित नहीं किया। हर तीन माह में इस ट्रेन की समयावधि बढ़ाई जाती है। सोमवार को इस ट्रेन की समयावधि फिर तीन माह बढ़ाकर 29 जून तक कर दी।
स्पेशल ट्रेन के नुकसान
साधारण ट्रेन के किराया की तुलना में यात्रियों से 15 फीसदी ज्यादा किराया लिय जाता है।
कई स्पेशल ट्रेनों में प्रीमियम किराया लगता है, जैसा की फ्लाइट में लगता है।
साधारण ट्रेन की तुलना में इन ट्रेनों को खाली रूट नहीं मिलता।
स्पेशल ट्रेन 16 से 17 घंटे तक लेट चलती हैं।
बजट में इन ट्रेनों का भेजा था प्रस्ताव
- जबलपुर से चलने वाली सभी स्पेशल ट्रेन को नियमित करना।
- रीवा-मुंबई के बीच नियमित ट्रेन चलाना।
- जबलपुर से रायपुर के बीच नियमित ट्रेन चलाना।
- भोपाल-रीवा के बीच नियमित ट्रेन चलाना।
स्पेशल ट्रेन में साधारण ट्रेनों की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा किराया लगता है। इसके बाद भी जबलपुर की स्पेशल ट्रेनों को पर्याप्त यात्री मिल रहे हैं। इन्हें नियमित करने का प्रस्ताव बोर्ड भेजा गया है।
-मनोज गुप्ता, सीनियर डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल