जबलपुर स्मार्ट सिटी फेल, पब्लिक ने 40वे पायदान पर पहुंचाया | JABALPUR NEWS

जबलपुर। नगर निगम जबलपुर, स्मार्ट सिटी मैनेजमेंट और जिला प्रशासन की मॉनिटरिंग से जनता खुश नहीं है। भारत में रहने लायक शहरों की सूची तैयार करने के लिए चल रहे सर्वे (इज ऑफ लिविंग 2019) में जबलपुर की पब्लिक ने बड़ी संख्या में नेगेटिव कमेंट किए हैं। हालात यह बने कि जबलपुर शहर 40 वें पायदान पर पहुंच गया। अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए हैं। वह सर्वे में पॉजिटिव वोटिंग के लिए नेताओं की तरह पब्लिक को मिसगाइड करने की कोशिश कर रहे हैं। 

क्या है इज ऑफ लिविंग 2019 ऑनलाइन सर्वे 

भारत सरकार का शहरी विकास मंत्रालय इस ऑनलाइन सर्वे को आयोजित करता है। ईज ऑफ लिविंग के जरिए सरकार जनता से यह पूछना चाहती है कि उनके शहर के विकास और व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी ठीक प्रकार से काम कर रहे हैं या नहीं। इसी के आधार पर सरकार आने वाले साल के लिए बजट जारी करती है। अधिकारियों के लिए इस सर्वे में पॉजिटिव रैंकिंग बहुत मायने रखती है क्योंकि यह सर्विस सीधे बजट से जुड़ता है। 

नेगेटिव को पॉजिटिव में बदलने के लिए क्या कर रहे जबलपुर के अधिकारी 

सरकार इस सर्वे को लंबे समय तक चलाती है ताकि यदि अधिकारियों से कुछ सूख रहा है तो वह से दुरुस्त करके जनता को अपने फेवर में करें लेकिन जबलपुर में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। यहां तो अधिकारी वर्ग जनता को गुमराह करके पॉजिटिव वोटिंग कराने की साजिश कर रहा है। नेताओं की तरह जनता को भड़काया जा रहा है, दुहाई दी जा रही है। अधिकारियों ने मैसेज वायरल करवाया है कि " ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन और भोपाल के नागरिकों ने इज ऑफ लिविंग में साकारात्मक फीडबैक देकर ऊपर पहुंचा दिया है, लेकिन जबलपुर के नागरिक ही नहीं चाहते कि उनका शहर रहने लायक बने"। पब्लिक का ब्रेनवाश करने के बाद इसी मैसेज में उन्हें पॉजिटिव वोटिंग के लिए टर्न किया जा रहा है। लिखा है "यदि जबलपुर को भी रहने लायक शहरों की सूची में शामिल कराना है तो अभी भी वक्त है। नागरिक 29 फरवरी तक इओएस डॉट ओआरजी सिटीजन फीडबैक में जाकर 24 आसान सवालों का साकारात्मक जवाब दे सकते हैं।" 

जबलपुर को विकास के लिए फंड मिलेगा, लेकिन भ्रष्टाचार का क्या 

फंड के लालची अधिकारी जनता को विकास का लालच दे रहे हैं। समझाया जा रहा है कि 'नागरिक फीडबैक के आधार पर ही शहर में विकास के नए रास्ते खुलेंगे। इसी आधार पर फंड मुहैया कराएगी। केंद्र से मिलने वाली आर्थिक मदद से शहर को नया मुकाम मिलेगा लेकिन पब्लिक का सबसे बड़ा सवाल यह है कि केंद्र सरकार से जो फंड मिलेगा क्या वह जबलपुर के विकास में खर्च किया जाएगा। वर्षों से जो भ्रष्टाचार की परंपरा चली आ रही है, क्या किसी चौराहे पर आकर अधिकारी शपथ पूर्वक कह सकते हैं कि जबलपुर के विकास के लिए मिलने वाले फंड में भ्रष्टाचार नहीं होगा।

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फीडबैक के आधार पर रहने लायक शहरों की सूची जारी होगी। केंद्र सरकार से फंडिग मिलेगी। विकास के नए रास्ते खुलेंगे। 29 फरवरी तक नागरिक फीडबैक दे सकते हैं।
-आशीष कुमार पाठक, सीईओ, स्मार्ट सिटी
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