यदि आपका जीवन चारों तरफ से कष्टों से घिर गया है। निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। धन संपत्ति का बड़ा नुकसान हो चुका है। कर्ज काफी बढ़ गया है। परिस्थितियां विषम हो गई है और अपने भी साथ छोड़ने लगे हैं तो 3 फरवरी का दिन आपके जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। महानंदा नवमी का व्रत एकमात्र ऐसा उपाय है जो आपको ऐसी परिस्थितियों से बाहर निकाल सकता है। आपको 3 फरवरी सूर्योदय से लेकर 4 फरवरी सूर्योदय तक उपवास, मंत्र का जाप और सेवा करनी है। यदि आपका व्रत सफल हुआ चमत्कारी परिणाम आएंगे। शास्त्रानुसार आपकी मदद करने के लिए अपने आप देव चले आएंगे।
महानंदा नवमी का पूजा विधान
महानंदा नवमी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त या उससे थोड़ी देर पहले उठ जाएं। ब्रह्म मुहूर्त में घर की साफ-सफाई कर सारे कचरे को इकट्ठा कर घर से बाहर फेक दें। घर के कचरे को बाहर करने की प्रक्रिया को अलक्ष्मी का विसर्जन कहा जाता है। अब नित्यकर्म से निवृत्त होकर, स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल पर आसन ग्रहण कर देवी लक्ष्मी का आवाहन करें। देवी महालक्ष्मी को कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, अक्षत, लाल वस्त्र, ऋतुफल, पंचमेवा, मिष्ठान्न और लाल फूल समर्पित करें।
पूजास्थल पर एक अखंड दीपक जलाए और संभव हो तो रात्रि जागरण करें। देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए 'ओम महालक्ष्म्यै नम: ' का जाप करें। रात्रि पूजा और जागरण के पश्चात दूसरे दिन व्रत का पारण करें। नवमी तिथि को कन्याभोज का भी प्रावधान है। इसलिए छोटी कन्याओं को भोजन करवाकर उन्हे दक्षिणा देकर उनके पैर छूना चाहिए। महानंदा नवमी को गरीब और असहाय लोगों की सेवा करने और उनको दान करने से भी अक्षय पुण्य मिलने के साथ विष्णुलोक की प्राप्ति भी होती है।