भोपाल। मध्यप्रदेश में करीब 24000 ग्राम पंचायत है। ज्यादातर पंचायतों के सरपंचों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। कई सरपंचों ने करोड़ों की सरकारी जमीन पर कब्जे कर लिए हैं लेकिन भ्रष्टाचार की दलदल में एक सरपंच कमल की तरह स्वच्छ और शुद्ध नजर आ रहा है। नाम है कमल सिंह धाकड़ जो पेशे से किसान है। कमल सिंह ने अपने गांव और आसपास स्कूल, कॉलेज, कोर्ट और किसानों के लिए मार्केटिंग सोसायटी का ऑफिस खोलने हेतु 1.25 करोड़ों की जमीन सरकार को दान कर दी।
2010 में जब सरपंच थे तब मॉडल स्कूल मंजूर हुआ था
विदिशा के पत्रकार श्री अजय जैन की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के विदिशा जिले की नटेरन तहसील के स्थित सेऊके गांव के किसान कमल सिंह धाकड़ आज पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल बन चुके हैं। 51 वर्षीय कमल सिंह बताते हैं कि वर्ष 2010 में वह ग्राम पंचायत सेऊके सरपंच भी थे। उस समय केंद्रीय योजना के तहत नटेरन में मॉडल स्कूल मंजूर हुआ था, लेकिन नटेरन में भवन के लिए शासकीय जमीन उपलब्ध नहीं थी।
2013 में स्कूल के लिए 5 बीघा जमीन दान की
गांव का कोई व्यक्ति जमीन देने को तैयार नहीं था। इस स्थिति में यह स्कूल दूसरे क्षेत्र में शिफ्ट करने की बात होने लगी थी। उनकी जमीन नटेरन गांव से लगी हुई थी, जब उन्हें यह बात पता चली तो उन्होंने स्कूल के लिए अपनी पांच बीघा जमीन दान करने की पेशकश की, जिसे प्रशासन ने स्वीकार कर लिया। वर्ष 2013 में जब प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एक यात्रा में नटेरन आए तो उन्होंने अपनी पांच बीघा जमीन का दानपत्र उन्हें सौंप दिया।
2017 में कॉलेज के लिए 12 बीघा जमीन तान की
कमल सिंह बताते हैं कि दो साल के भीतर इस जमीन पर भवन बनकर तैयार हो गया। आज इस स्कूल में करीब 400 बच्चे पढ़ रहे हैं। इसी तरह तीन साल पहले नटेरन में शासकीय कॉलेज के लिए जमीन नहीं मिल रही थी। अधिकारियों ने उनसे जमीन देने का आग्रह किया। उन्होंने अपनी 12 बीघा जमीन कॉलेज के लिए दे दी। इस जमीन पर अब भवन बनकर तैयार है। इसके अलावा वे मार्केटिंग सोसायटी के लिए एक बीघा और कोर्ट भवन के लिए भी पांच बीघा जमीन दान कर चुके हैं।
कमल सिंह अब तक कुल 23 बीघा जमीन दान कर चुके हैं
कमल सिंह के मुताबिक इस तरह वे अब तक कुल 23 बीघा जमीन दान कर चुके हैं, जिसमें से 17 बीघा स्कूल और कॉलेज के लिए है। नटेरन -सेऊ मार्ग पर स्थित इस जमीन का वर्तमान में बाजार मूल्य करीब सात लाख रूपये बीघा है। कमल सिंह बताते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वे आठवीं के बाद नहीं पढ़ सके।
परिवार में किसी ने आपत्ति नहीं की, कुल 300 बीघा जमीन के मालिक
खेती में जमकर मेहनत की और गांव के आसपास जमीन खरीदी। आज पांच भाइयों के संयुक्त परिवार के पास करीब 300 बीघा जमीन है। जब बच्चों की शिक्षा की बात आई तो वे जमीन देने में पीछे नहीं हटे। उनके इस फैसले में उनका पूरा परिवार साथ रहा।पहली बार जमीन दान करते समय उनके पिता मूलचंद धाकड़ भी जीवित थे। उन्होंने भी बेटे के जमीन दान करने के निर्णय पर खुशी ही जाहिर की थी।
कमल सिंह धाकड़ ने बताया कि जमीन दान करने के पीछे मेरी भावना गांव के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना है। मेरे पिताजी और फिर भाइयों ने इस पर कभी आपत्ति नहीं की। खुशी मिलती है जब देखता हूं कि गांव के बच्चे बेहतर स्कूल-कॉलेज में पढ़ रहे हैं।