भोपाल। कमलनाथ सरकार प्रदेश के 10 लाख से ज्यादा कर्मचारियों का पांच फीसदी महंगाई भत्ता (डीए) नए वित्तीय वर्ष से पहले बढ़ाएगी। इन्हें अभी 12 फीसदी डीए मिल रहा है। कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनर्स को भी इसका लाभ दिया जाएगा। वित्त विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। अंतिम फैसले के लिए प्रस्ताव कैबिनेट के सामने जल्द रखा जाएगा। पेंशनर्स को महंगाई राहत देने का फैसला तो साथ-साथ लिया जा सकता है, लेकिन भुगतान छत्तीसगढ़ से सहमति मिलने के बाद होगा।
सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्री तरुण भनोत ने प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनर्स का डीए/डीआर बढ़ाए जाने को लेकर प्रस्ताव कैबिनेट के समय विचार के लिए रखने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। केंद्र सरकार ने 14 अक्टूबर को कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 12 से बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दिया था। आमतौर पर एक बार में दो प्रतिशत डीए बढ़ाया जाता रहा है, लेकिन इस बार पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई।
प्रदेश में अखिल भारतीय सेवा के सदस्यों का पांच प्रतिशत डीए सामान्य प्रशासन विभाग ने 24 अक्टूबर को एक जुलाई 2019 से बढ़ा दिया, लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों को लेकर अब तक निर्णय नहीं हुआ है। दरअसल, प्रदेश की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है कि एकमुश्त इतनी राशि व्यय की जा सके, इसलिए राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स के मामले में निर्णय नहीं हो पाया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जनवरी में केंद्र सरकार फिर डीए में वृद्धि करेगी।
ऐसे में यदि राज्य डीए/डीआर को लंबित रखती है तो आर्थिक बोझ बढ़ता जाएगा। इसके मद्देनजर यह तय किया गया है कि अंतिम फैसले के लिए प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रख दिया जाए। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि पांच फीसदी डीए और डीआर बढ़ाने से खजाने पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
एक फीसदी वृद्धि का खर्च करीब 50 करोड़
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों और पेंशनर्स का डीए और डीआर एक फीसदी बढ़ाने पर खजाने पर हर माह करीब 50 करोड़ रुपए का वित्तीय भार आता है। पांच प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो यह राशि 250 करोड़ रुपए प्रतिमाह के आसपास होती है।
सरकार ने दो प्रतिशत के हिसाब से तो व्यवस्था करके रखी थी, लेकिन तीन प्रतिशत का अतिरिक्त इंतजाम करना होगा। बताया जा रहा है कि जनवरी के वेतन में बढ़ा हुआ डीए जोड़कर दिया जा सकता है। जुलाई से दिसंबर तक के एरियर्स को भविष्य निधि खाते में जमा कराया जाएगा।
पेंशनर्स के लिए छग की सहमति जरूरी
सूत्रों का कहना है कि पेंशनर्स का डीआर बढ़ाने को लेकर कैबिनेट भले ही फैसला कर ले पर यह अमल में तभी आएगा, जब छत्तीसगढ़ सहमति देगी। दरअसल, राज्य बंटवारा कानून के मुताबिक ऐसे कोई भी कदम एक राज्य अकेला नहीं उठा सकता है जो दोनों राज्यों की वित्तीय व्यवस्था से जुड़ा हुआ हो।