राजगढ़। स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर राजगढ़ में साइबर क्राइम का मामला सामने आया है। बताने की जरूरत नहीं की ओटीपी (OTP) यानी वन टाइम पासवर्ड एक निजी जानकारी होती है जो किसी से भी शेयर नहीं की जाती। राजगढ़ में स्वच्छता सर्वे के नाम पर लोगों के मोबाइल पर ओटीपी भेजे जा रहे थे तो तत्काल एक युवक कलेक्ट करके किसी दूसरे व्यक्ति को भेज रहा था। पब्लिक ने संदिग्ध को पकड़कर पुलिस के हवाले किया लेकिन इससे पहले कि पुलिस कोई कार्रवाई कर पाती एसडीएम संदीप अष्ठाना आरोपियों को पुलिस हिरासत से मुक्त कर दिया।
मामला क्या है
राजगढ़ शहर में बस स्टैंड एवं आसपास के एरिया में दो युवक लोगों से बातचीत कर रहे थे। उनके साथ नगर पालिका के कर्मचारी अजय परते, राजेन्द्र यादव एवं जितेन्द्र विजयवर्गीय मौजूद थे। दोनों युवक खुद को स्वच्छता सर्वेक्षण टीम दिल्ली का सदस्य बता रहे थे। और लोगों से उनका नाम पूछते, फिर एड्रेस और उसके बाद मोबाइल नंबर। इसके तत्काल बाद लोगों के मोबाइल पर एक ओटीपी आता। दोनों युवक लोगों से ओटीपी पूछते और यह ओटीपी किसी दूसरे व्यक्ति को बताते। यह क्रम लगातार चल रहा था। नगर पालिका के कर्मचारी साथ में थे इसलिए स्थानीय नागरिक संदेह नहीं कर रहे थे। ब्यावरा के पास गिंदोरमीणा के इंजी कृष्ण मोहन मीणा से भी इन्होंने केवल नाम और उम्र पूछकर ओटीपी मांगा। इंजीनियर कृष्ण मोहन मीणा ने आनाकानी की तो साथी नगरपालिका कर्मचारियों ने दबाव बनाया। इंजीनियर मीणा को पता था कि ओटीपी कभी किसी को नहीं देना चाहिए। यदि कोई मांगे तो उसकी सूचना पुलिस को करनी चाहिए। उन्होंने तत्काल इसकी शिकायत पुलिस थाने में कर दी। लोग दोनों युवकों को पकड़कर थाने ले गए। इस घटनाक्रम के दौरान नगरपालिका कर्मचारी मौके से फरार हो गए। जब लोग दोनों युवकों को लेकर थाने पहुंचे तो वहां एसडीएम संदीप अष्ठाना पहले से ही मौजूद थे। उन्होंने दोनों से पूछताछ की और फिर उन्हें बिना किसी कार्रवाई के जाने दिया। जब मीडिया ने इस बारे में एसडीएम संदीप अष्ठाना से सवाल किया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। एसडीएम अष्ठाना ने भी मीडिया को दिए बयान में दोनों युवकों को स्वच्छता सर्वेक्षण टीम दिल्ली का सदस्य बताया।
आरोपियों के पास संदिग्ध आईडी कार्ड थे
पब्लिक द्वारा पकड़े गए एक युवक ने अपना नाम अंकित गुप्ता बताया। पहचान पत्र मांगे जाने पर उसने खुद को पत्रकार बताया और दिल्ली क्राइम प्रेस एवं दिल्ली क्राइम व भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा के आईडी कार्ड दिखाए। दूसरे युवक ने स्वच्छता संर्वेक्षण दिल्ली का एक कार्ड दिखाया जो IPSOS कंपनी द्वारा जारी किया गया था और युवक का नाम प्रभाकर सेन था।
अनसुलझे सवाल
यदि दोनों युवक स्वच्छता सर्वेक्षण दिल्ली टीम के सदस्य थे तो फिर एसडीएम ने उन्हें चुपचाप वहां से जाने के लिए क्यों कहा।
एसडीएम ने दोनों आरोपियों के सामने मीडिया से बातचीत कर स्थिति को स्पष्ट क्यों नहीं किया।
एसडीएम ने शिकायतकर्ता को बुलाकर उसके संदेह का निवारण क्यों नहीं किया।
एसडीएम ने पुलिस को उसकी कार्रवाई करने से क्यों रोका।
ऐसी क्या विपत्ति आ गई थी कि एसडीएम खुद चलकर थाने आ गए।
यदि टीम स्वच्छता सर्वेक्षण दिल्ली की है तो फिर वह क्षेत्र में लगातार काम क्यों नहीं कर रही।
घटनाक्रम के बाद दोनों युवक कहां गए।
मेरी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हुई
स्वच्छता संर्वेक्षण के दल द्वारा पहले अपना परिचय देना चाहिए। फिर सात सवालों के जवाब नागरिकों द्वारा अपने मोबाईल से एप के माध्यम से अपने ओटीपी से देना होते है। मैं खुद इंदौर में प्रायवेट जॉब करता हूं और इसमें भाग ले चुका हूं। यह दोनों किसी एक और युवक के साथ मुझसे ओटीपी लेने का दबाव बना रहे थे। इसलिए थाने में शिकायत की लेकिन यह सुनवाई नही हुई अब दिल्ली शिकायत करूंगा।
कृष्ण मोहन, इंजीनियर
हो सकता है कि स्वच्छता में नंबर-01 लाने के लिए प्रदेश में दलालों का नेटर्वक काम कर रहा हो। मैं इसकी शिकायत शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार को करूंगा।
अजय दुबे, एक्टिविस्ट