मध्य प्रदेश की एक जेल में नेताजी के लिए एक बैरक आज भी रिजर्व है | NETAJI@ JABALPUR

नेताजी सुभाष चंद्र बोस, आजादी की लड़ाई के दौरान कई बार पकड़े गए और कई बार रिहा हुए। देश की कई जेलों में उन्हें कैद रखा गया लेकिन मध्य प्रदेश का एक जिला ऐसा भी है जहाँ एक बैरक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लिए आज भी रिजर्व है। 1818 मैं बनाई गई जबलपुर जेल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को दो बार कैद रखा गया। दोनों बार उन्हें एक ही बैरक में रखा गया। आजादी के बाद जेल की उस बैरक को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लिए रिजर्व कर दिया गया। इसमें अब किसी भी कैदी को बंद नहीं किया जाता। नेताजी का सामान आज भी इसी जेल में रखा है। जेल की कैदी रोज नेताजी की प्रेरक पर फूल चढ़ाते हैं।

पूरी जेल का नाम नेताजी के नाम पर रख दिया


नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था। उस समय जब लोगों को नेताजी के जेल में बंद होने की सूचना मिली तो बाहर इतनी भीड़ हो जाती थी कि अंग्रेज अफसरों को संभालना मुश्किल होता था। जबलपुर जेल का निर्माण 1818 में किया गया था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेता जी को दो बार इस जेल में कैद किया गया था। वे इस कारागार में अध्ययन करते थे। उनके साथ भाई शरत चंद्र बोस भी जेल में ही थे। नेताजी 30 मई 1932 को जबलपुर आए और 16 जुलाई 1932 को मद्रास भेजा गया। दूसरी बार 18 फरवरी 1933 वे जेल लाए गए इस दौरान उनकी स्वास्थ्य खराब था। डॉ. एसएन मिश्र ने उनकी जांच की और आंतों में टीबी होने की बात कही। उन्हें 22 मार्च 1933 को यहां से बंबई व फिर वहां से यूरोप भेज दिया गया था।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिस बैरक में बंद थे अब वह संग्रहालय बन गया

नेताजी की फौज जब अंग्रेजों के लिए मुसीबत बनने लगी, तब अंग्रेजों ने पहली बार सुभाष चंद्र बोस को गिरफ्तार कर 22 दिसंबर 1931 से लेकर 16 जुलाई 1932 तक इसी जेल में बंद कर दिया।
इसके बाद उन्हें रिहा कर मुंबई भेज दिया गया था, लेकिन जैसे-जैसे देश में आजादी की लड़ाई जोर पकड़ने लगी, अंग्रेजों ने आजादी के नायकों को जेल में बंद करना शुरू कर दिया था।
इसी दौरान सुभाष चंद्र बोस को दूसरी बार गिरफ्तार कर फिर से जबलपुर की इसी जेल में रखा गया था। इस कारण आजादी के बाद जबलपुर सेंट्रल जेल का नाम 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल' रखा गया। 

जबलपुर जेल की कैदी रोज नेताजी की पट्टी पर फूल चढ़ाते हैं

खास बात यह है कि जेल में बंद रहने के दौरान सुभाष चंद्र बोस जिस पट्टी (पत्थर की शिला) पर सोते थे, उस पर सभी कैदी हर सुबह फूल चढ़ाकर दिन की शुरूआत करते हैं। देश की आजादी के बाद जेल प्रशासन ने नेताजी से जुड़ी तमाम चीजों को उनके बैरक में संग्रहालय के रूप में सहेज कर रखा है।

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