देहरादून। उत्तराखंड में देश ही नहीं विदेशी सैलानियों की भी भरमार रहती है। जिन्हें यहां के दूरस्थ क्षेत्रों में जिस समस्या का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है, वह है स्थानीय बोली-भाषा। गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा न समझ पाने के चलते वह यहां की संस्कृति व खान-पान को अच्छी तरह नहीं समझ पाते। इस समस्या को दूर करने के लिए शुक्रवार को विज्ञान धाम स्थित उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) कार्यालय में ‘हैलो उत्तराखंड’ एप लॉन्च की गई। जिसे पब्लिक रिलेशन सोसाइटी के उत्तराखंड चैप्टर के सदस्य एवं युवा आइटी पेशेवर आकाश शर्मा ने तैयार किया है। इसकी डायरेक्ट लिंक सबसे नीचे दी गई है।
इस एप को लॉन्च करते हुए यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य के युवा तकनीक का उपयोग कर नए कार्य कर रहे हैं। इससे निश्चित तौर पर उत्तराखंड में पर्यटन व्यवसाय को नया आयाम मिलेगा। आकाश शर्मा ने बताया कि इस एप से किसी भी देश का व्यक्ति अपनी मातृभाषा का गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी में अनुवाद कर सकता है। अभी इस एप का बीटा वर्जन जारी किया गया है, जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है (डायरेक्ट लिंक पोस्ट में सबसे नीचे है)। फरवरी 2020 में इसे वृहद स्तर पर लांच किया जाएगा। फिलहाल यह एप 100 भाषाओं में अनुवाद कर सकती है।
इस अवसर पर पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के देहरादून चैप्टर के सचिव अनिल सती, संयुक्त सचिव अमित पोखरियाल, कोषाधयक्ष सुरेश भट्ट, वैभव गोयल, डॉ. बीपी पुरोहित आदि मौजूद रहे।
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