मध्यप्रदेश की महिला तहसीलदार ने बलात्कारियों के एनकाउंटर का समर्थन किया | MP NEWS

भोपाल। हैदराबाद एनकाउंटर मामले में सारा देश यह मानकर चल रहा है कि हैदराबाद पुलिस ने रेप के चारों आरोपियों का इसलिए एनकाउंटर किया क्योंकि उन्होंने महिला डॉक्टर का न केवल निर्मम तरीके से रेप किया बल्कि उसे जिंदा भी चलाया। नेताओं और आम नागरिकों की प्रतिक्रियाओं के बीच मध्यप्रदेश की महिला तहसीलदार अमिता सिंह तोमर ने भी बलात्कारियों की सीधे एनकाउंटर का समर्थन किया है। अब इस मामले को लेकर आपत्ति आना शुरू हो गई है। 

तहसीलदार अमिता सिंह तोमर ने हिंसा का समर्थन कैसे किया 

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले की तहसीलदार अमिता सिंह तोमर ने फेसबुक पर लिखा- मेनकाजी आपको जानवरों की फिक्र है पर एक डॉक्टर आपकी नजर में जानवर से भी बदतर है। धिक्कार है आपकी सोच पर। एक बेटी की मां होने के नाते में ये मेरी प्रतिक्रिया है। किस तरह लोग इस तरह की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। अपराधी जेल से छूटने के बाद महिलाओं को जिंदा जला दे रहे हैं। मैं इस देश की जिम्मेदार नागरिक हूं, महिला हूं एक बेटी की मां भी हूं। इसलिए मुझे अपनी बात बोलने का अधिकार है। दरअसल, शुक्रवार को हैदराबाद में दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोपियों की एनकाउंटर की खबर आने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मेनका गांधी ने कहा था कि यह घटना देश के लिए बहुत भयानक है। आप लोगों को इसलिए नहीं मार सकते, क्योंकि आप ऐसा चाहते हैं। 

मध्यप्रदेश में तहसीलदार एक मजिस्ट्रेट होता है, ऐसी कार्रवाई का समर्थन नहीं कर सकता 

मध्य प्रदेश जूनियर प्रशासकीय सेवा (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम 2011 के अनुसार राज्य सरकार की सबसे महत्वपूर्ण कार्यपालक संस्था तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार रोते हैं। इनकी जिम्मेदारी केवल राजस्व वसूली नहीं होती बल्कि यह मैजिस्ट्रेट भी होते हैं। कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखना और कलेक्टर के आदेश पर इसे सुनिश्चित करना इनकी जिम्मेदारी है। एक तहसीलदार जो कि मजिस्ट्रेट भी होता है वह 24 घंटे ऑन ड्यूटी माना जाता है। उसका व्यक्तिगत मत, आचार व्यवहार इत्यादि संयमित होना चाहिए क्योंकि वह हर समय शासन का प्रतिनिधित्व करता है। अतः तहसीलदार जो कि एक मैजिस्ट्रेट मिलता है के पद पर बैठा हुआ व्यक्ति किसी भी प्रकार की हिंसा का समर्थन नहीं कर सकता। यह उसकी पद की गरिमा और सेवा शर्तों के विपरीत है। यदि वह चाहता है की अभिव्यक्ति की आजादी उसे भी प्राप्त हो तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा। 

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